डब्ल्यूएमओ की नई चेतावनी: 2025-2029 में जलवायु परिवर्तन से बढ़ेगा संकट

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की ताज़ा रिपोर्ट ने वैश्विक जलवायु संकट को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 से 2029 के बीच दुनिया के औसत तापमान में पूर्व-औद्योगिक युग (1850-1900) की तुलना में 1.2°C से 1.9°C तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इस अवधि में कम से कम एक वर्ष के लिए 1.5°C की सीमा पार करने की संभावना 70 प्रतिशत बताई गई है।

पेरिस समझौते के लक्ष्य पर खतरा

2015 के पेरिस जलवायु सम्मेलन में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखने का लक्ष्य तय किया गया था, ताकि जलवायु परिवर्तन के सबसे गंभीर प्रभावों से बचा जा सके। लेकिन डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि मौजूदा उत्सर्जन दर और गर्मी की प्रवृत्तियां इस लक्ष्य को अस्थायी रूप से कई बार पार कर सकती हैं। 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा है और पहली बार 1.5°C सीमा को पार कर गया है।

वैश्विक जलवायु योजनाओं की धीमी प्रगति

यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के 195 सदस्य देशों में से 180 अभी तक 2031-35 के लिए अपने नए राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDCs) प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं। यह जलवायु योजनाएं 1.5°C लक्ष्य को पाने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

आर्कटिक क्षेत्र में तीव्र बदलाव

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले पाँच सर्दियों के दौरान आर्कटिक क्षेत्र में औसत तापमान वैश्विक औसत से 3.5 गुना अधिक यानी 2.4°C बढ़ सकता है। इससे समुद्री बर्फ की मात्रा में गिरावट आने की संभावना है, विशेष रूप से बरेंट्स सागर, बेरिंग सागर और ओखोत्स्क सागर में।

वर्षा और सूखे के नए स्वरूप

2025 से 2029 के बीच मई से सितंबर की अवधि के लिए रिपोर्ट में जिन क्षेत्रों में औसत से अधिक वर्षा की संभावना जताई गई है, उनमें साहेल क्षेत्र (अफ्रीका), उत्तरी यूरोप, अलास्का और उत्तरी साइबेरिया शामिल हैं। वहीं, अमेजन क्षेत्र में सूखे जैसी स्थिति रहने की संभावना है। दक्षिण एशिया में हाल के वर्षों की तरह औसत से अधिक वर्षा जारी रह सकती है, हालांकि सभी मानसून सीजन में यह जरूरी नहीं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • डब्ल्यूएमओ के अनुसार, 2025-2029 में कम से कम एक वर्ष के अब तक के सबसे गर्म वर्ष (2024) से भी अधिक गर्म होने की 80 प्रतिशत संभावना है।
  • अगली पाँच वर्षों में किसी एक वर्ष का 2°C तापमान सीमा पार करना केवल 1 प्रतिशत संभावना के भीतर है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में वृद्धि के साथ, चरम मौसमी घटनाएं—जैसे हीटवेव, तीव्र वर्षा, सूखा, बर्फ पिघलना, समुद्र का गर्म होना और समुद्र स्तर में वृद्धि—और भी अधिक सामान्य होंगी।
  • रिपोर्ट ने लंबे समय तक जलवायु निगरानी और वैज्ञानिक पूर्वानुमान को नीति निर्माण और अनुकूलन उपायों के लिए अत्यंत आवश्यक बताया है।

जलवायु परिवर्तन की यह चेतावनी केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि मानव जीवन, आजीविका, पारिस्थितिकी तंत्र और वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों की गंभीर तस्वीर पेश करती है। अब यह समय है कि विश्व समुदाय ठोस और तत्काल कदम उठाए, जिससे हम इस संकट का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्थायी भविष्य सुनिश्चित कर सकें।

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