डब्ल्यूएचए 2025: त्वचा रोगों को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता घोषित करने वाला ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित

डब्ल्यूएचए 2025: त्वचा रोगों को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता घोषित करने वाला ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित

24 मई 2025 को विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) के 78वें सत्र में इतिहास रच दिया गया, जब पहली बार सर्वसम्मति से ‘त्वचा रोगों को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता’ घोषित करने वाला प्रस्ताव पारित किया गया। यह ऐतिहासिक कदम त्वचा स्वास्थ्य को केवल सौंदर्य नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और मानवीय गरिमा से जुड़ा एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा मानने की दिशा में वैश्विक सोच में परिवर्तन को दर्शाता है।

प्रस्ताव की पृष्ठभूमि

1.9 अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करने के बावजूद त्वचा रोग वर्षों से उपेक्षित रहे हैं, विशेषकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में। कोटे डी आइवोर, नाइजीरिया, टोगो और माइक्रोनेशिया जैसे देशों द्वारा प्रायोजित इस प्रस्ताव को International League of Dermatologic Societies (ILDS) का सहयोग प्राप्त था।

विकासशील देशों की आवाज़

नाइजीरिया की त्वचा विशेषज्ञ डॉ. फोलाकेमी कोल-अदेइफे ने इस प्रस्ताव को त्वचा स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव न केवल वित्तीय सहायता और नीति-निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि इसे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का हिस्सा बनाने की ओर भी प्रेरित करता है।
डॉ. कोल-अदेइफे ने विशेष रूप से भारत और अफ्रीका में रंगदोष, फंगल संक्रमण और उपेक्षित त्वचा रोगों के उच्च बोझ को रेखांकित किया, जहां यह प्रस्ताव जागरूकता, समावेशी अनुसंधान और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त उपचार की दिशा में अवसर प्रदान करता है।

दक्षिण एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व की दृष्टि

ILDS की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. रश्मि सरकार ने बताया कि त्वचा रोग न केवल शारीरिक पीड़ा बल्कि सामाजिक कलंक और आर्थिक अवसरों की हानि से भी जुड़े होते हैं। विटिलिगो, सोरायसिस जैसी स्थितियां लोगों को समाज से अलग-थलग कर देती हैं।
उनके अनुसार, यह प्रस्ताव सरकारों, एनजीओ, चिकित्सा संस्थानों और रोगी सहायता समूहों के लिए एक सामूहिक प्रयास का आह्वान है — अनुसंधान को वित्त देना, बीमारी का डेटा इकट्ठा करना, और त्वचा स्वास्थ्य को प्राथमिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम में शामिल करना अब ज़रूरी हो गया है।

प्रमुख चुनौतियाँ

भारत और अन्य विकासशील क्षेत्रों में त्वचा रोगों की दोहरी समस्या है — क्रॉनिक इंफ्लेमेटरी कंडीशन्स जैसे सोरायसिस और एटोपिक डर्मेटाइटिस, और उपेक्षित रोग जैसे कुष्ठरोग और खाज। इनके लिए न दवाएं उपलब्ध हैं, न बीमा कवरेज।

क्या बदलेगा?

  • त्वचा स्वास्थ्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं में शामिल किया जाएगा।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य ढांचे में त्वचा रोग विशेषज्ञों की ट्रेनिंग बढ़ेगी।
  • बीमा योजनाओं में त्वचा रोगों को कवर किया जाएगा।
  • त्वचा रोगों पर अनुसंधान और विविध त्वचा टोन पर फोकस को प्राथमिकता मिलेगी।
  • रोगियों के लिए परामर्श, सहायता समूह और जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • 78वीं विश्व स्वास्थ्य सभा ने 24 मई 2025 को त्वचा रोगों को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता घोषित किया।
  • प्रस्ताव को कोटे डी आइवोर, नाइजीरिया, टोगो, माइक्रोनेशिया और ILDS का समर्थन प्राप्त था।
  • विश्व में लगभग 1.9 अरब लोग किसी न किसी त्वचा रोग से प्रभावित हैं।
  • भारत, अफ्रीका और मध्य पूर्व में त्वचा रोगों का बोझ सबसे अधिक है।
  • यह प्रस्ताव बीमा, अनुसंधान और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में त्वचा रोगों के समावेश का मार्ग प्रशस्त करता है।

यह प्रस्ताव एक नई शुरुआत है — त्वचा को केवल सौंदर्य से जोड़ने की बजाय एक संपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में देखने की। यह हमारे समाज में एक नई सोच, समावेशी नीति और गरिमा-आधारित उपचार प्रणाली की नींव रखता है।

Originally written on June 18, 2025 and last modified on June 18, 2025.

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