ट्रम्प की टैरिफ नीति: अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर गहराता संकट

डोनाल्ड ट्रम्प ने जब जनवरी 2025 में दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभाला, तब टैरिफ (सीमा शुल्क) नीति उनके कार्यकाल की सबसे प्रमुख आर्थिक पहल बनकर उभरी। भले ही 2024 के चुनावों में टैरिफ एक केंद्रीय मुद्दा न रहा हो, लेकिन सात महीनों में यह नीति अमेरिकी और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर डाल रही है।
क्या है टैरिफ और इसका सीधा असर?
टैरिफ, यानी किसी वस्तु के आयात पर सरकार द्वारा लगाया गया कर, अंततः घरेलू उपभोक्ताओं पर भार डालता है। इसका सीधा असर कीमतों में वृद्धि के रूप में होता है, जबकि उत्पादकता में कोई सुधार नहीं होता। जनवरी में जहां औसत टैरिफ 2.5% था, वह अब बढ़कर 9.1% (वास्तविक प्रभाव) और 18.6% (घोषित दर) तक पहुंच गया है।
स्टॉक मार्केट के भ्रम
टैरिफ समर्थकों का तर्क है कि अमेरिकी शेयर बाजार मजबूती से खड़ा है। परंतु विस्तृत विश्लेषण से पता चलता है कि यह मजबूती केवल चंद बड़ी टेक कंपनियों की बदौलत है। जहां NASDAQ 100 में 10.65% की वृद्धि हुई, वहीं Dow Jones Transportation Index लगभग 2% गिरा है। Russell 2000 जैसे छोटे निवेशकों पर आधारित सूचकांक में केवल 2% की वृद्धि हुई है, जो व्यापक आर्थिक कमजोरी की ओर इशारा करता है।
महंगाई पर प्रभाव
टैरिफ नीति का सबसे पहला असर उपभोक्ता कीमतों पर होता है। ट्रम्प प्रशासन का दावा है कि महंगाई काबू में है, लेकिन आंकड़े इसके विपरीत हैं। अप्रैल से PCE (Personal Consumption Expenditures) इंडेक्स बढ़ रहा है और जून में यह 3% के करीब पहुंच गया, जबकि फेडरल रिजर्व का लक्ष्य 2% है। जुलाई में Producer Price Index 3.3% तक पहुंच गया — फरवरी के बाद सबसे ऊंचा स्तर।
मौद्रिक नीति पर असर
2025 की शुरुआत में अमेरिकी फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में 2-4 कटौती की उम्मीद थी, लेकिन बढ़ती महंगाई और टैरिफ के प्रभाव ने उसे दरों में कटौती से रोक दिया। ट्रम्प के टैरिफ निर्णयों ने मुद्रास्फीति को बढ़ाया, जिससे मौद्रिक नीति को सख्त बनाए रखना पड़ा — आर्थिक विकास को धीमा करने वाला कारक।
आर्थिक वृद्धि में गिरावट
IMF के अनुसार, अमेरिकी GDP 2023 में 2.9% और 2024 में 2.8% की दर से बढ़ा। लेकिन 2025 में यह घटकर 1.9% और 2026 में मात्र 1.2% रहने की संभावना है। इस गिरती विकास दर और बढ़ती महंगाई के साथ अमेरिका अब “स्टैगफ्लेशन” की ओर बढ़ता दिख रहा है।
रोजगार की स्थिति
महंगाई और ब्याज दरों के कारण रोजगार सृजन पर असर पड़ा है। मई और जून के रोजगार आंकड़ों में भारी संशोधन हुआ, और जुलाई में रोजगार वृद्धि बेहद कम रही। इन आंकड़ों से घबराकर ट्रम्प ने BLS के प्रमुख को हटा दिया, पर यह आर्थिक सच्चाई से बचने की कोशिश ही कही जा सकती है।
डॉलर की वैश्विक स्थिति पर असर
अमेरिकी डॉलर विश्व व्यापार का प्रमुख आधार है, लेकिन ट्रम्प की टैरिफ नीति ने डॉलर की स्थिति को भी कमजोर किया है। यूरो, येन, पाउंड और अन्य मुद्राओं के मुकाबले डॉलर का मूल्य गिरा है, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति प्रभावित हुई है और आयात महंगा हो गया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ट्रम्प की दूसरी पारी 20 जनवरी 2025 से शुरू हुई।
- अमेरिकी डॉलर दुनिया के 90% विदेशी मुद्रा लेन-देन में प्रयुक्त होता है।
- अमेरिका ने 2025 में औसत प्रभावी टैरिफ दर 9.1% तक बढ़ा दी है।
- जुलाई 2025 में PPI आधारित थोक महंगाई 3.3% रही।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीति, जो पहले केवल रणनीतिक वाणिज्यिक हथियार के रूप में प्रस्तुत की गई थी, अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी दबाव डाल रही है। चाहे वह महंगाई हो, गिरती GDP वृद्धि दर, रोजगार संकट, या डॉलर की वैश्विक स्थिति — हर पहलू पर इसके प्रतिकूल प्रभाव दिख रहे हैं।
यदि अमेरिका को आर्थिक मजबूती की राह पर वापस लाना है, तो केवल टैरिफ को सर्वसमाधान मानने की नीति से बाहर आना होगा। अन्यथा, यह नीतिगत हठ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को धीमे ज़हर की तरह भीतर से खोखला करता रहेगा।