ट्रंप के टैरिफ से नहीं, भारत के आंतरिक व्यापारिक असंतुलन से है असली खतरा

अगस्त 2025 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के निर्णय ने भले ही कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी हो, परंतु भारत की प्रतिक्रिया पारंपरिक रही — संयमित भाषा, परदे के पीछे वार्ता और सार्वजनिक प्रतिशोध से परहेज़। परंतु यह घटनाक्रम भारत-अमेरिका संबंधों की मात्र एक कड़ी नहीं है, बल्कि यह उस भीतरी असंतुलन को उजागर करता है जिसे भारत ने वर्षों से नज़रअंदाज़ किया है — देश के व्यापारिक भूगोल में गहरी असमानता।

केंद्रित निर्यात और हाशिये पर हिंदी पट्टी

भारत का निर्यात ढांचा कुछ गिने-चुने राज्यों पर आधारित है। गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक — ये चार राज्य देश के कुल निर्यात का 70% से अधिक योगदान करते हैं। अकेले गुजरात का हिस्सा 33% से अधिक है। इसके पीछे दशकों से चली आ रही आधारभूत संरचना, राजनीतिक निरंतरता और नीतिगत प्राथमिकताएँ हैं।
इसके विपरीत, देश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य — उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश — कुल निर्यात में मिलकर भी मात्र 5% का योगदान देते हैं। यह असंतुलन न केवल क्षेत्रीय विकास में बाधक है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में झटकों के प्रति भारत की संवेदनशीलता को भी बढ़ाता है।

पूर्वोत्तर: प्रतीकात्मक स्वीकार्यता, आर्थिक बहिष्कार

पूर्वोत्तर भारत की स्थिति और भी चिंताजनक है। आठ राज्यों वाला यह क्षेत्र 5,400 किलोमीटर से अधिक अंतरराष्ट्रीय सीमाएँ साझा करता है, फिर भी इसका राष्ट्रीय निर्यात में योगदान मात्र 0.13% है। यहाँ कोई सुदृढ़ व्यापार गलियारा नहीं है, न ही विश्व बाजार तक पहुँचने की बुनियादी ढांचा। नीति निर्माण में क्षेत्र की भागीदारी लगभग नगण्य है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद या भारत के व्यापार बोर्ड में पूर्वोत्तर का कोई प्रभावी प्रतिनिधित्व नहीं है। प्रमुख निर्यात प्रोत्साहन योजनाएँ जैसे RoDTEP और PLI दक्षिणी और पश्चिमी औद्योगिक क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जबकि पूर्वोत्तर को उनके लिए स्वयं रास्ता तलाशना पड़ता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • पूर्वोत्तर भारत की कुल निर्यात में हिस्सेदारी मात्र 0.13% है।
  • भारत के चार राज्य — गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु — कुल निर्यात का 70% से अधिक योगदान करते हैं।
  • 2024 में भारत-म्यांमार सीमा पर ‘फ्री मूवमेंट रेजीम’ को समाप्त कर दिया गया, जिससे सीमा पार व्यापार और सामाजिक संपर्क पर असर पड़ा।
  • असम भारत का प्रमुख चाय उत्पादक राज्य है, लेकिन उच्च-मूल्य ब्रांडिंग और पैकेजिंग में इसकी भागीदारी नगण्य है।

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