झील बीवा के नीचे मिला 10,000 वर्ष पुराना पात्र: जापान के पुरातात्विक इतिहास में नई रोशनी

झील बीवा के नीचे मिला 10,000 वर्ष पुराना पात्र: जापान के पुरातात्विक इतिहास में नई रोशनी

जापान की झील बीवा के नीचे से एक अत्यंत प्राचीन और लगभग पूर्ण अवस्था में संरक्षित मिट्टी का पात्र मिलने से जेमोन काल की प्रारंभिक सभ्यताओं पर नई जानकारियाँ सामने आई हैं। त्सुजुराओजाकी के जलमग्न अवशेषों से प्राप्त यह खोज न केवल जापान की प्रागैतिहासिक कुम्हार कला को समझने में अहम है, बल्कि मानव सभ्यता के शुरुआती बसावट दौर की सांस्कृतिक और तकनीकी प्रगति को भी उजागर करती है।

झील बीवा से मिला दुर्लभ प्राचीन पात्र

अक्टूबर में जापानी पुरातत्वविदों ने झील बीवा की सतह से 64 मीटर नीचे से 25 सेंटीमीटर ऊँचा मिट्टी का पात्र निकाला। यह जेमोन काल के प्रारंभिक चरण का है और इसे दुनिया की सबसे प्राचीन तथा सुरक्षित अवस्था में मिले मृद्भांडों में से एक माना जा रहा है। झील का विशिष्ट पर्यावरण हजारों वर्षों तक ऐसे प्राचीन अवशेषों को क्षरण से बचाता रहा है। त्सुजुराओजाकी स्थल 1920 के दशक से शोधकर्ताओं का केंद्र रहा है, जहाँ जलमग्न प्रागैतिहासिक गतिविधियों के कई प्रमाण मिले हैं।

जेमोन कुम्हारकला और प्रारंभिक स्थायी जीवन

यह पात्र जेमोन कुम्हार परंपरा का हिस्सा है, जो मानव इतिहास की सबसे प्रारंभिक मिट्टी कला परंपराओं में गिनी जाती है। 10,000 वर्ष से भी अधिक पुराने इस दौर में मानव समुदाय खानाबदोश जीवन से हटकर स्थायी बस्तियों की ओर अग्रसर हो रहा था। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पात्र जिंगूजी शैली या कोनामी अपर-लेयर परंपरा से जुड़ा हो सकता है, जिनकी पहचान बारीक नक्काशी और परिष्कृत आकृतियों से होती है। इस काल की मिट्टी कला केवल उपयोगिता तक सीमित नहीं थी, बल्कि उसमें सांस्कृतिक, सौंदर्यबोध और प्रतीकात्मक महत्व भी समाहित था।

तकनीक से संभव हुआ जलमग्न पुरातत्व का नया युग

इस खोज को अत्याधुनिक तकनीक ने संभव बनाया। शोधकर्ताओं ने झील की तली का उच्च-रिज़ॉल्यूशन सर्वेक्षण करने के लिए स्वायत्त जलमग्न वाहन (AUV) और 3D सोनार मैपिंग तकनीक का उपयोग किया। समुद्री इंजीनियरिंग के लिए विकसित ये उपकरण अब पुरातत्वविदों को पहले से अक्षम्य गहराइयों में सुरक्षित और सटीक अध्ययन करने में सक्षम बनाते हैं। रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सोनार इमेजिंग अब जलमग्न विरासत स्थलों के अनुसंधान के अनिवार्य साधन बन चुके हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यह मिट्टी का पात्र 10,000 वर्ष से भी अधिक पुराना है और जेमोन काल के प्रारंभिक चरण से संबंधित है।
  • इसे झील बीवा के त्सुजुराओजाकी जलमग्न स्थल से 64 मीटर की गहराई में खोजा गया।
  • इस खोज में AUV व 3D सोनार स्कैनिंग तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
  • झील बीवा जापान की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है और प्रागैतिहासिक शोध का प्रमुख केंद्र है।

त्सुजुराओजाकी स्थल और प्राचीन जापान के रहस्य

त्सुजुराओजाकी का जलमग्न स्थल अभी भी शोधकर्ताओं के लिए रहस्य बना हुआ है। 1924 से अब तक यहाँ 200 से अधिक मिट्टी के टुकड़े मिले हैं, फिर भी इस क्षेत्र का वास्तविक प्रयोजन स्पष्ट नहीं है। कुछ विशेषज्ञ इसे कभी झील किनारे बसा प्राचीन गाँव मानते हैं जो टेक्टोनिक परिवर्तनों या जलस्तर बढ़ने से जलमग्न हो गया। वहीं कुछ विद्वानों का मत है कि इसका धार्मिक महत्व रहा होगा, क्योंकि पूर्ण अवस्था में मिला पात्र सीधी स्थिति में पाया गया, जो संभावित अनुष्ठानिक उपयोग का संकेत देता है। निरंतर चल रहे अध्ययन जल्द ही यह स्पष्ट कर सकते हैं कि प्रारंभिक जेमोन समुदाय झील बीवा के किनारों पर कैसे रहते, काम करते और पूजा-अर्चना करते थे।
यह खोज न केवल जापान के प्रागैतिहासिक अतीत को समझने में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आधुनिक तकनीक किस प्रकार गहन जलमग्न इतिहास को उजागर कर सकती है।

Originally written on December 1, 2025 and last modified on December 1, 2025.

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