झारखंड के फुलवारिया गांव में आठ दशकों बाद पहुंची बिजली: आदिवासी जीवन में नई उम्मीद

झारखंड के फुलवारिया गांव में आठ दशकों बाद पहुंची बिजली: आदिवासी जीवन में नई उम्मीद

झारखंड के कोडरमा ज़िले के फुलवारिया टोले में एक ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। लगभग 550 ग्रामीणों, जिनमें अधिकांश बिरहोर जनजाति से संबंध रखते हैं, को जल्द ही बिजली आपूर्ति मिलने जा रही है। रविवार को 63 केवीए ट्रांसफार्मर की स्थापना के साथ इस प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है, और एक और ट्रांसफार्मर जल्द ही लगाया जाएगा। यह पहल उज्ज्वला योजना के तहत की जा रही है, जिससे गांव के 100 से अधिक घरों को रोशनी मिलेगी।

आठ दशक का अंधेरा हुआ खत्म

फुलवारिया टोला अब तक लगभग आठ दशकों से अंधकार में डूबा हुआ था। बिजली के न आने से शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की बुनियादी सुविधाएं प्रभावित थीं। लेकिन ट्रांसफार्मर के जलने के साथ जब पहली बार एक बल्ब ने झिलमिलाकर रोशनी दी, तो पूरे गांव में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। कार्यक्रम में कोडरमा की सांसद और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, कोडरमा विधायक नीरा यादव, बरकट्ठा विधायक अमित कुमार, उपायुक्त ऋतुराज और वन्यजीव डीएफओ सूरज कुमार सिंह उपस्थित थे। उन्होंने इस उपलब्धि को “फुलवारिया में नई सुबह” की संज्ञा दी।

वन क्षेत्र में होने से बाधित था विकास

फुलवारिया का संपर्क मार्ग आरक्षित वन क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिसके कारण वर्षों तक तकनीकी स्वीकृतियों और वन विभाग की अनुमति में देरी होती रही। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) के कार्यपालक अभियंता रंधीर कुमार ने बताया कि वन विभाग ने कड़े शर्तों के साथ मंजूरी दी है, जैसे गांव के बाहर कोई हाई बीम लाइट, लाउडस्पीकर या उच्च-शब्द स्तर के उपकरण नहीं लगेंगे, ताकि वन्यजीवों को कोई नुकसान न पहुंचे।

ग्रामीणों में खुशी की लहर

वार्ड पार्षद सचिन कुमार ने कहा, “अब भी यकीन नहीं होता कि हमारे गांव में बिजली आ गई है। यह एक नए जीवन की शुरुआत है।” गांव की निवासी मुन्नी देवी ने बताया, “बिजली हमारे जीवन को पूरी तरह बदल देगी। बच्चे अब रात में पढ़ाई कर पाएंगे, महिलाएं घर के काम जल्दी निपटा सकेंगी और हमारी शामें अब अंधेरे में नहीं रहेंगी।”

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • बिरहोर जनजाति झारखंड की एक विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति (PVTG) मानी जाती है।
  • उज्ज्वला योजना मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा और उजाले की सुविधा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
  • आरक्षित वन क्षेत्र में किसी भी निर्माण या संरचना के लिए वन अधिनियम, 1980 के तहत विशेष अनुमति आवश्यक होती है।
  • झारखंड में कई आदिवासी गांव अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं, जिनके लिए राज्य और केंद्र सरकार संयुक्त प्रयास कर रही हैं।
Originally written on September 18, 2025 and last modified on September 18, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *