ज्ञान भारतम् पोर्टल: भारत की पांडुलिपि धरोहर के डिजिटलीकरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल

ज्ञान भारतम् पोर्टल: भारत की पांडुलिपि धरोहर के डिजिटलीकरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘ज्ञान भारतम्’ के अवसर पर ‘ज्ञान भारतम् पोर्टल’ का शुभारंभ किया। यह पहल भारत की विशाल पांडुलिपि धरोहर को संरक्षित करने, डिजिटाइज करने और वैश्विक स्तर पर सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। विज्ञान भवन में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने इसे केवल शैक्षणिक या सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना और बौद्धिक विरासत का उद्घोष बताया।

ज्ञान भारतम् मिशन: उद्देश्य और व्यापकता

ज्ञान भारतम् मिशन की घोषणा फरवरी 2025 में बजट सत्र के दौरान की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश-विदेश में फैली भारतीय पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण, उनका कैटलॉग बनाना और एक केंद्रीकृत डिजिटल मंच के माध्यम से उन्हें आम जनता और शोधकर्ताओं के लिए सुलभ बनाना है। इसके साथ ही, यह मिशन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग करते हुए संरक्षण और अनुसंधान को भी बढ़ावा देगा।
भारत के पास लगभग एक करोड़ पांडुलिपियाँ हैं, जो विश्व की सबसे बड़ी पांडुलिपि संग्रहण प्रणाली मानी जाती है। ये पांडुलिपियाँ संस्कृत, प्राकृत, कश्मीरी, मैथिली, मलयालम, मराठी, असमिया, बंगाली, कन्नड़, कोकणी जैसी लगभग 80 भाषाओं में हैं।

सांस्कृतिक आत्मबल और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा

प्रधानमंत्री ने इस पहल को “बौद्धिक चोरी” पर रोक लगाने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि भारत का पारंपरिक ज्ञान कई बार विदेशों में पेटेंट कर लिया गया है। डिजिटलीकरण से प्रमाणिक स्रोत उपलब्ध होंगे, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की बौद्धिक विरासत को उचित श्रेय मिल सकेगा।
उदाहरणस्वरूप उन्होंने कश्मीर के इतिहास पर आधारित गिलगित पांडुलिपियाँ, चाणक्य का ‘अर्थशास्त्र’, सारनाथ की बौद्ध पांडुलिपियाँ, आयुर्वेद के ग्रंथ ‘चरक संहिता’ और ‘सुश्रुत संहिता’, शिल्पशास्त्र, नाट्यशास्त्र और गणित में ‘शून्य’ की खोज जैसे उदाहरणों का उल्लेख किया।

वैश्विक मंच पर भारत की सांस्कृतिक भागीदारी

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत द्वारा मंगोलिया से लाए गए पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण कर उन्हें वापस सौंपा गया। साथ ही थाईलैंड और वियतनाम के विश्वविद्यालयों से समझौता करके पाली, लन्ना और चाम भाषाओं में शोध के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। जापान के होर्यु-जी मठ में संरक्षित पांडुलिपियाँ भारत की एशिया में ऐतिहासिक सांस्कृतिक उपस्थिति को दर्शाती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ज्ञान भारतम् मिशन का उद्देश्य एक करोड़ भारतीय पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण और कैटलॉग बनाना है।
  • इस समय तक 10 लाख से अधिक पांडुलिपियाँ डिजिटाइज की जा चुकी हैं।
  • इस मिशन का नेतृत्व संस्कृति मंत्रालय कर रहा है।
  • भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रधानमंत्री ने चार स्तंभों पर आधारित बताया: संरक्षण, नवाचार, संवर्धन और अनुकूलन।
Originally written on September 15, 2025 and last modified on September 15, 2025.

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