जैव विविधता संरक्षण में गंभीर खामी: गलत स्थानों पर बने संरक्षित क्षेत्र बना रहे संकट

हाल ही में जर्नल ऑफ कंजरवेशन बायोलॉजी में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन ने इस तथ्य को उजागर किया है कि पृथ्वी के 17% से अधिक भू-भाग को संरक्षित क्षेत्र (Protected Areas – PAs) घोषित किए जाने के बावजूद, ये क्षेत्र प्रभावी रूप से जैव विविधता की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं। अध्ययन में बताया गया है कि अधिकांश संरक्षित क्षेत्र वास्तविक पारिस्थितिकीय खतरों वाले इलाकों के साथ मेल नहीं खाते, जिससे जैव विविधता संरक्षण की वर्तमान रणनीतियों की नींव पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

  • 33,379 प्रजातियों और 2,55,848 संरक्षित स्थलों के आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण किया गया।
  • छह प्रमुख जैव विविधता हानिकारक कारकों की समीक्षा की गई: कृषि, वनों की कटाई, शिकार, प्रदूषण, आक्रामक प्रजातियाँ और शहरीकरण।
  • 21% स्थलीय भूमि में एक या अधिक खतरों का उच्च जोखिम पाया गया, जिनमें से 76% क्षेत्र अपर्याप्त रूप से संरक्षित हैं—या तो संरक्षित क्षेत्रों के बाहर हैं या केवल आंशिक रूप से शामिल हैं।

संरक्षित क्षेत्रों की गलत स्थानिकता

  • अधिकांश संरक्षित क्षेत्र ऐसे स्थानों में बनाए गए हैं जहाँ मानवीय गतिविधियाँ पहले से कम हैं, जैसे रूसी आर्कटिक, उत्तरी कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का मध्य भाग
  • ये क्षेत्र राजनीतिक रूप से सुविधाजनक या प्रशासनिक दृष्टि से सरल होते हैं, लेकिन जैव विविधता संकट वाले इलाकों से दूर हैं।
  • इसके विपरीत, जैव विविधता के वास्तविक संकट क्षेत्र जैसे दक्षिण अमेरिकी एंडीज, सेंट्रल अमेरिका, मेडागास्कर, दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत द्वीपसमूह अब भी खतरनाक रूप से असुरक्षित हैं।

भारत का स्थान और डेटा अभाव

  • इस अध्ययन में भारत, चीन और तुर्की को शामिल नहीं किया गया क्योंकि International Union for Conservation of Nature (IUCN) और World Database of Protected Areas में इन देशों का अद्यतन डेटा अनुपलब्ध था।
  • यह तथ्य भारत की संरक्षण नीति और डेटा पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • PAs (Protected Areas) वे भूभाग हैं जिन्हें किसी क्षेत्र विशेष की जैव विविधता को संरक्षित करने के उद्देश्य से कानूनी रूप से संरक्षित किया गया है।
  • Biodiversity Loss के मुख्य कारक: कृषि विस्तार, लकड़ी कटाई, अवैध शिकार, प्रदूषण, विदेशी प्रजातियाँ और नगरीकरण।
  • कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (2022) का उद्देश्य 2030 तक प्रजातियों के विलुप्त होने को रोकना और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनः स्थापित करना है।
  • 30×30 लक्ष्य: 2030 तक पृथ्वी के 30% भू और जल क्षेत्र को संरक्षित करना।

सुधार की सख्त जरूरत

  • अध्ययन के अनुसार, संरक्षण विफलताओं का कारण संरक्षित क्षेत्रों की गलत भौगोलिक स्थिति है, न कि संरक्षण की अवधारणा में कमी।
  • पीए को केवल सांख्यिकीय लक्ष्य समझने के बजाय उन्हें रणनीतिक रूप से जैव विविधता संकट क्षेत्रों में स्थापित करना आवश्यक है।

इस अध्ययन की चेतावनी स्पष्ट है: “यदि संरक्षित क्षेत्रों की योजना वास्तविक खतरों के आधार पर नहीं बनाई गई, तो मानचित्र पर बनी हरी रेखाएं केवल भ्रम पैदा करेंगी, जबकि जैव विविधता चुपचाप विलुप्त होती रहेगी।” भविष्य की संरक्षण योजनाएं तभी प्रभावी होंगी जब वे डेटा-संचालित, रणनीतिक और संकट-केंद्रित हों।

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