जैव अनुसंधान में क्रांति लाएगा CALIBRE केंद्र
भारत के जैविक अनुसंधान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के मेल की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत बेंगलुरु स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) की दो प्रमुख इकाइयों — नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ (NCBS) और इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल साइंसेज़ (ICTS) — ने मिलकर सेंटर फॉर आर्टिफिशियल लर्निंग एंड इंटेलिजेंस फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च एंड एजुकेशन (CALIBRE) की स्थापना की है।
यह केंद्र भारत की जैव विविधता, स्वास्थ्य देखभाल और कृषि से जुड़ी जटिल समस्याओं को हल करने में AI के उपयोग को बढ़ावा देगा।
AI और जैवविज्ञान का नया संगम
CALIBRE की स्थापना विशाल गुप्ता और दीपशिखा गुप्ता (रीड इंडिया कंसल्टिंग LLP) द्वारा दिए गए ₹25 करोड़ के अनुदान से की गई है। इसका उद्देश्य भारत के स्थानीय संदर्भों को ध्यान में रखते हुए AI आधारित उपकरण, डेटासेट और शोध फ्रेमवर्क विकसित करना है। इससे न केवल अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि भारत के सामाजिक-वैज्ञानिक मुद्दों पर व्यावहारिक समाधान भी मिलेंगे।
NCBS और ICTS का संयुक्त प्रयास
NCBS के परिसर में स्थित CALIBRE केंद्र, ICTS के साथ मिलकर काम करेगा ताकि जीवविज्ञान और डेटा विज्ञान के बीच सेतु स्थापित हो सके। जहां ICTS सिद्धांतिक और संगणकीय विशेषज्ञता प्रदान करेगा, वहीं NCBS जैविक और पारिस्थितिकीय अनुसंधान में सहयोग करेगा। यह तालमेल चिकित्सा, तंत्रिका विज्ञान और पारिस्थितिकी जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शोध प्रगति को संभव बनाएगा।
शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार पर केंद्रित
केवल अनुसंधान ही नहीं, CALIBRE का उद्देश्य छात्रों और नवोदित वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करना भी है। केंद्र में चेयर प्रोफेसरशिप्स और रिसर्च ट्रैवल फेलोशिप्स की व्यवस्था की जाएगी, जिससे अंतरविषयक संवाद और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। यह पहल ऐसे वैज्ञानिकों की नई पीढ़ी को तैयार करेगी जो जैवविज्ञान और AI दोनों में दक्ष हों।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- CALIBRE की स्थापना NCBS और ICTS द्वारा TIFR के अंतर्गत की गई है।
- केंद्र को ₹25 करोड़ की फंडिंग विशाल गुप्ता और दीपशिखा गुप्ता से प्राप्त हुई।
- इसका उद्देश्य जैविक अनुसंधान और शिक्षा में AI का एकीकृत उपयोग है।
- केंद्र चेयर प्रोफेसरशिप्स और रिसर्च फेलोशिप्स की पेशकश करेगा।
वैश्विक नेतृत्व की दिशा में भारत
NCBS के निदेशक प्रो. एल.एस. शशिधर के अनुसार, यह केंद्र स्वास्थ्य, कृषि और पारिस्थितिकी क्षेत्रों में AI के माध्यम से समाधान खोजने में मदद करेगा। वहीं, ICTS के निदेशक प्रो. राजेश गोपाकुमार ने इसे क्वांटिटेटिव बायोलॉजी, बायोफिज़िक्स और महामारी विज्ञान जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को गति देने वाला कदम बताया।