जेलीफ़िश के कारण फ्रांस के परमाणु संयंत्र में ठहराव: क्या यह भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरा है?

10 अगस्त 2025 को फ्रांस के उत्तरी भाग में स्थित ग्रैवलिन्स न्यूक्लियर पावर स्टेशन को एक अप्रत्याशित और असामान्य कारण से अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा—जेलीफ़िश। यह समुद्री जीवों का एक विशाल झुंड संयंत्र की कूलिंग प्रणाली में फंस गया, जिससे छह में से चार रिएक्टरों को बंद करना पड़ा। हालांकि सुरक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन यह घटना एक बार फिर यह प्रश्न उठाती है कि समुद्री पारिस्थितिकी में हो रहे परिवर्तन हमारी ऊर्जा प्रणालियों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
जेलीफ़िश और परमाणु संयंत्रों की तकनीकी चुनौती
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को संचालित रखने के लिए निरंतर जल प्रवाह की आवश्यकता होती है, जो उनके रिएक्टर और टरबाइन सिस्टम को ठंडा रखता है। यही कारण है कि अधिकांश संयंत्र बड़े जल स्रोतों के पास बनाए जाते हैं। लेकिन जब लाखों जेलीफ़िश जल की इनपुट पाइपों में खिंचकर स्क्रीनिंग एरिया को जाम कर देती हैं, तो जल का प्रवाह अचानक रुक जाता है। इससे संयंत्र के टरबाइन, बॉयलर और कंडेंसर जैसी संरचनाओं को क्षति पहुंचने की आशंका बनती है, और सुरक्षा कारणों से संयंत्र को बंद करना पड़ता है।
बढ़ती घटनाओं के पीछे के कारण
पिछले कुछ वर्षों में जेलीफ़िश द्वारा परमाणु संयंत्रों को बाधित करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ इसके पीछे तीन प्रमुख कारण मानते हैं:
- जलवायु परिवर्तन: समुद्री तापमान में वृद्धि के कारण प्लवक (plankton) की मात्रा बढ़ी है, जो जेलीफ़िश का मुख्य आहार है। गर्म पानी में यह जीव तेज़ी से प्रजनन करते हैं, जिससे उनके समूह अचानक बहुत बड़े हो जाते हैं।
- अत्यधिक मछली पकड़ना (Overfishing): समुद्री खाद्य श्रृंखला में जेलीफ़िश के प्राकृतिक शिकारी जैसे टूना मछली और समुद्री कछुए की संख्या कम हो गई है। इससे जेलीफ़िश को बिना रुकावट फैलने का मौका मिल रहा है।
- प्लास्टिक प्रदूषण: प्लास्टिक कचरा जेलीफ़िश के लिए प्रजनन स्थल बन रहा है। साथ ही, जेलीफ़िश कम ऑक्सीजन वाले प्रदूषित जल में भी जीवित रह सकती हैं, जो उन्हें तटीय क्षेत्रों में बढ़ने में मदद करता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ग्रैवलिन्स न्यूक्लियर पावर स्टेशन यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्रों में से एक है, जिसकी शुरुआत 1980 में हुई थी।
- 2011 में इज़राइल, जापान और स्कॉटलैंड में जेलीफ़िश के कारण परमाणु संयंत्रों को बंद करना पड़ा था।
- 2013 में स्वीडन के एक रिएक्टर को भी जेलीफ़िश आक्रमण के कारण रोका गया था।
- जेलीफ़िश की आबादी में वृद्धि से न केवल ऊर्जा सुरक्षा खतरे में आती है, बल्कि यह समुद्री जैव विविधता को भी असंतुलित करती है।
ग्रैवलिन्स की यह घटना केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि भविष्य की ऊर्जा योजना के लिए एक बड़ा संकेत है। जैसे-जैसे दुनिया क्लाइमेट फ्रेंडली तकनीकों की ओर बढ़ रही है, समुद्री और पारिस्थितिकीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक रणनीतियाँ बनाना अब अनिवार्य हो गया है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए, यह आवश्यक है कि वे अपने कूलिंग सिस्टम को और अधिक जेलीफ़िश-प्रतिरोधी बनाएं, ताकि ऐसी प्राकृतिक बाधाएं ऊर्जा आपूर्ति को बाधित न कर सकें।