जेंडर बजटिंग नॉलेज हब’ पोर्टल का शुभारंभ: महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम

जेंडर बजटिंग नॉलेज हब’ पोर्टल का शुभारंभ: महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 20 जून 2025 को आयोजित राष्ट्रीय परामर्श बैठक में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ‘जेंडर बजटिंग नॉलेज हब’ पोर्टल का शुभारंभ किया। यह पोर्टल देश में लैंगिक बजट प्रक्रिया से संबंधित सभी सूचनाओं का डिजिटल भंडार होगा, जिसका उपयोग केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालयों, विभागों और अन्य हितधारकों द्वारा किया जा सकेगा।

जेंडर बजटिंग: वित्तीय प्रावधान से रणनीतिक साधन तक

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जेंडर बजटिंग अब केवल एक वित्तीय प्रावधान नहीं, बल्कि समावेशी शासन का एक सशक्त रणनीतिक साधन बन चुकी है। उन्होंने कहा, “जब हम महिलाओं में निवेश करते हैं, तो हम सिर्फ संसाधनों का आवंटन नहीं करते, बल्कि एक न्यायसंगत, सशक्त और विकसित भारत की नींव रखते हैं।”

  • वित्त वर्ष 2025–26 के लिए ₹4.49 लाख करोड़ का जेंडर बजट निर्धारित किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 37% अधिक है।
  • वर्ष 2014–15 में ₹0.98 लाख करोड़ से 11 वर्षों में यह राशि लगभग साढ़े चार गुना बढ़ चुकी है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में जेंडर बजटिंग की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2005–06 से हुई थी।
  • जेंडर बजट दस्तावेज़ को भाग A और भाग B के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो क्रमशः पूर्णतः और आंशिक रूप से महिला केंद्रित योजनाओं को दर्शाते हैं।
  • UN Women और Asian Development Bank सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

परामर्श के प्रमुख विषय

इस पहले राष्ट्रीय परामर्श में जेंडर बजटिंग की सुदृढ़ प्रक्रिया, विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों की सफल पहलों और अनुभवों पर चर्चा हुई। मंत्रालय द्वारा विकसित जेंडर बजटिंग प्रशिक्षण पुस्तिका (Training Manual) का भी प्रस्तुतीकरण किया गया, जो अधिकारियों को व्यवहारिक मार्गदर्शन प्रदान करेगी।
इस कार्यक्रम में 40 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों, 19 राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी और नीति विशेषज्ञ, तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

निष्कर्ष

‘जेंडर बजटिंग नॉलेज हब’ जैसे पोर्टल और नीति संवाद भारत में महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस प्रयास हैं। इस डिजिटल पहल से नीति निर्माण में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ेगी तथा समावेशी विकास की अवधारणा और सशक्त होगी।

Originally written on June 21, 2025 and last modified on June 21, 2025.

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