जालंधर में 150वां हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की सबसे पुरानी परंपरा का उत्सव
पंजाब के जालंधर में स्थित ऐतिहासिक श्री देवी तालाब मंदिर में 150वां श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन 26 दिसंबर से आरंभ हो रहा है। यह भारत का सबसे पुराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत महोत्सव है, जिसकी परंपरा 19वीं सदी से चली आ रही है। तीन दिवसीय यह आयोजन भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध विरासत और उसके निरंतर प्रवाह का जीवंत प्रमाण है।
ऐतिहासिक आयोजन और आयोजक संस्थाएं
इस संगीत सम्मेलन का आयोजन संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नॉर्थ ज़ोन कल्चरल सेंटर द्वारा, पंजाब सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। हर वर्ष देवी तालाब मंदिर में आयोजित यह सम्मेलन भारत के अग्रणी शास्त्रीय कलाकारों को एक मंच प्रदान करता है, और शास्त्रीय परंपराओं के संरक्षण व प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह उत्सव केवल एक संगीत कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन है, जिसने भारत की संगीत परंपरा को पीढ़ियों तक जीवित रखा है।
आत्मिक समर्पण और स्मृति को समर्पित
इस ऐतिहासिक 150वें संस्करण को गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी वर्षगांठ को समर्पित किया गया है। नौवें सिख गुरु, तेग बहादुर जी, बलिदान, आध्यात्मिक साहस और मानव मूल्यों के प्रतीक हैं।
साथ ही, यह सम्मेलन बनारस घराने के प्रसिद्ध गायक पं. छन्नूलाल मिश्रा को भी श्रद्धांजलि देता है, जिनका इसी वर्ष अक्टूबर में निधन हुआ। उनकी संगीत साधना ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक पहचान दिलाई।
शास्त्रीय संगीत के दिग्गजों का संगम
इस वर्ष के सम्मेलन में 26 से 28 दिसंबर तक देश के अग्रणी कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे, जिनमें शामिल हैं:
- लोक और शास्त्रीय गायिका मालिनी अवस्थी
- बनारस घराने के पं. सज्जन मिश्रा और स्वरांश मिश्रा
- बांसुरी वादक पं. रोणु मजूमदार
- कर्नाटक शैली के बांसुरी वादक शशांक सुब्रमण्यम
- गायिका अश्विनी भिडे और पं. संजीव अभ्यंकर
- गिटार वादक पं. शुभेन्द्र राव और सेलो वादिका सास्किया राव-डी-हास
- डागर घराने के ध्रुपद गायक उस्ताद फैयाज़ वासिफुद्दीन डागर
साथ ही, तबला और पखावज जैसे वाद्य यंत्रों पर वादन करेंगे पं. विजय घाटे और वी. सेल्वगणेश जैसे प्रतिष्ठित तालवादक।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
• हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन भारत का सबसे पुराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत महोत्सव है।
• इसका आयोजन प्रतिवर्ष जालंधर के श्री देवी तालाब मंदिर में होता है।
• नॉर्थ ज़ोन कल्चरल सेंटर, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
• गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म के नौवें गुरु थे, जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा हेतु शहादत दी थी।
150वें हरिवल्लभ सम्मेलन का आयोजन न केवल शास्त्रीय संगीत को समर्पित श्रद्धांजलि है, बल्कि यह भारत की जीवंत संगीत परंपरा, सांस्कृतिक निरंतरता और भावनात्मक जुड़ाव का भी प्रतीक है, जो कलाकारों और श्रोताओं के बीच एक गहरा सांस्कृतिक सेतु निर्मित करता है।