जापान का काशिवाजाकी‑कारीवा परमाणु संयंत्र फिर से शुरू: ऊर्जा नीति में बड़ा बदलाव

जापान का काशिवाजाकी‑कारीवा परमाणु संयंत्र फिर से शुरू: ऊर्जा नीति में बड़ा बदलाव

फुकुशिमा परमाणु हादसे के बाद लगभग दो दशकों तक बंद रहने के बाद, जापान ने काशिवाजाकी‑कारीवा परमाणु संयंत्र को फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी है। यह फैसला ऊर्जा सुरक्षा, लागत नियंत्रण और कार्बन उत्सर्जन में कटौती की दिशा में जापान की नई प्राथमिकताओं को दर्शाता है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब वैश्विक ईंधन बाज़ार अस्थिर हो गए हैं और जापान की जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भरता चिंता का विषय बनी हुई है।

निगाता विधानसभा की स्वीकृति और जनभावना

निगाता प्रान्तीय विधानसभा ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (TEPCO) को संयंत्र को फिर से शुरू करने की अनुमति मिल गई है। यह परमाणु संयंत्र क्षमता के लिहाज़ से दुनिया का सबसे बड़ा है। हालांकि, इस निर्णय के खिलाफ स्थानीय लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन भी हुए, लेकिन राज्यपाल हिदेयो हानाजुमी के समर्थन के बाद इसे राजनीतिक सहमति मिल गई।

पृष्ठभूमि और संचालन की योजना

काशिवाजाकी‑कारीवा संयंत्र टोक्यो से लगभग 220 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। 2011 में फुकुशिमा दाइइची हादसे के बाद पूरे देश में 54 परमाणु रिएक्टरों को बंद कर दिया गया था। अब इस संयंत्र के रिएक्टर नंबर 6 को 20 जनवरी 2026 तक दोबारा चालू करने की योजना है। TEPCO अगले दस वर्षों में सुरक्षा प्रणालियों और बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने हेतु लगभग ¥100 अरब का निवेश करेगा।

ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक पक्ष

जापान की परमाणु नीति में यह बदलाव उसकी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं से जुड़ा है। देश अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए भारी मात्रा में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) और कोयले का आयात करता है, जिस पर प्रतिवर्ष लगभग ¥10.7 ट्रिलियन खर्च होता है। परमाणु ऊर्जा को एक स्थिर और घरेलू विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, जो जापान को वैश्विक ईंधन मूल्य अस्थिरता से बचा सकता है और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

• काशिवाजाकी‑कारीवा संयंत्र विश्व का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है (क्षमता के आधार पर)।
• फुकुशिमा दाइइची हादसे के बाद जापान ने अधिकांश परमाणु संयंत्र बंद कर दिए थे।
• परमाणु ऊर्जा एक कम कार्बन उत्सर्जन वाली ऊर्जा स्रोत मानी जाती है।
• TEPCO कंपनी फुकुशिमा दाइइची और काशिवाजाकी‑कारीवा दोनों संयंत्र संचालित करती है।

प्रधानमंत्री सना ए ताकाइची की परमाणु नीति

जापान की प्रधानमंत्री सना ए ताकाइची ने देश की ऊर्जा रणनीति के तहत परमाणु ऊर्जा के पुनरुद्धार को खुलकर समर्थन दिया है। वर्तमान में जापान की 60–70% बिजली जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न होती है। सरकार का लक्ष्य 2040 तक इस निर्भरता को कम करके परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी को 20% तक लाना है। काशिवाजाकी‑कारीवा का पुनः संचालन इस दीर्घकालिक योजना का प्रमुख हिस्सा है, जो ऊर्जा सुरक्षा और डीकार्बनाइजेशन के लक्ष्य दोनों को पूरा करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

Originally written on December 23, 2025 and last modified on December 23, 2025.

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