जापान-ऑस्ट्रेलिया ने भूरे कोयले से हाइड्रोजन का उत्पादन शुरू किया

एक जापानी-ऑस्ट्रेलियाई उद्यम ने भूरे कोयले से हाइड्रोजन का उत्पादन शुरू किया है। जापान और ऑस्ट्रेलिया ने $500 मिलियन के इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए सहयोग किया है जिसका उद्देश्य यह दिखाना है कि तरलीकृत हाइड्रोजन का व्यावसायिक रूप से उत्पादन किया जा सकता है और इसे विदेशों में सुरक्षित रूप से निर्यात किया जा सकता है।

मुख्य बिंदु

दोनों देशों ने तरलीकृत हाइड्रोजन के लिए पहली अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने की योजना बनाई है। आगे उन्होंने दुनिया के पहले तरलीकृत हाइड्रोजन कैरियर पर कार्गो शिपिंग के लिए भी योजना बनाई। यह परियोजना उच्च ताप व दाब में ऑक्सीजन और भाप के साथ कोयले पर प्रतिक्रिया करके कार्बन-डाई-ऑक्साइड और अन्य गैसों के साथ हाइड्रोजन का उत्पादन करेगी।

जापान के लिए इस परियोजना का महत्व

यह परियोजना विक्टोरिया राज्य में ब्राउन कोल रिज़र्व में स्थित है और कावासाकी हेवी इंडस्ट्रीज द्वारा संचालित है। यह परियोजना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 2050 तक जापान को अपने “शुद्ध शून्य उत्सर्जन” लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेग। जापान, जो दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, ने 2050 तक वार्षिक हाइड्रोजन मांग को दस गुना बढ़ाकर 20 मिलियन टन करने का लक्ष्य रखा है। यह देश की वर्तमान बिजली उत्पादन के 40% के बराबर है।

ऑस्ट्रेलिया के लिए इस परियोजना का महत्व

ऑस्ट्रेलिया वैश्विक तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) व्यापार पर हावी है। इसलिए, देश को उम्मीद है कि “तरलीकृत हाइड्रोजन” इसके गैस और कोयले के लिए एक ग्रीन मार्केट प्रदान करेगा।

भूरा कोयला (Brown Coal)

इसे लिग्नाइट के नाम से भी जाना जाता है। यह एक नरम, भूरी, दहनशील, तलछटी चट्टान है जो प्राकृतिक रूप से संकुचित पीट से बनती है। अपेक्षाकृत कम ताप सामग्री के कारण यह कोयले की सबसे निचली श्रेणी है। इस कोयले में लगभग 25 से 35 प्रतिशत कार्बन की मात्रा होती है। दुनिया भर में इस कोयले का खनन किया जाता है। यह विशेष रूप से भाप-विद्युत ऊर्जा उत्पादन के लिए ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे हानिकारक कोयला है।

Originally written on March 12, 2021 and last modified on March 12, 2021.

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