जापानी इंसेफेलाइटिस की घटती प्रतिरक्षा से बढ़ सकता है डेंगू का खतरा: एक नई चेतावनी

मच्छर जनित बीमारियाँ जैसे डेंगू बुखार वैश्विक स्वास्थ्य के लिए बढ़ता हुआ खतरा बनती जा रही हैं। शहरीकरण की तेज़ रफ्तार, जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय यात्रा की बढ़ती प्रवृत्ति ने न केवल मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल माहौल बनाया है, बल्कि इन बीमारियों को नई जनसंख्याओं और क्षेत्रों में पहुँचाने में भी मदद की है। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस खतरे में एक अप्रत्याशित पहलू और जोड़ दिया है: जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV) के प्रति घटती प्रतिरक्षा से डेंगू संक्रमण की गंभीरता बढ़ सकती है।
जेईवी और डेंगू: परस्पर जुड़ी हुई वायरल चुनौतियाँ
जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस और डेंगू वायरस दोनों ही Orthoflavivirus वंश के सदस्य हैं, और इनके बीच पारस्परिक क्रिया की संभावना पहले भी जताई जाती रही है। सिंगापुर, नेपाल और अमेरिका के शोधकर्ताओं की एक टीम ने नेपाल के धरान शहर में 2019 से 2023 के बीच तीन बड़े डेंगू प्रकोपों का विश्लेषण कर इस संबंध को और स्पष्ट किया है। नेपाल में 2006 से जेई टीकाकरण कार्यक्रम काफी सफल रहा है, जिससे बड़ी जनसंख्या को जेईवी के खिलाफ प्रतिरक्षा प्राप्त है — लेकिन डेंगू का हाल ही में प्रवेश होने से यह अध्ययन के लिए उपयुक्त क्षेत्र बन गया।
शोध के दौरान, 546 डेंगू रोगियों को उनके बुखार की शुरुआत के तीन दिनों के भीतर भर्ती किया गया और उनके रक्त के नमूनों में डेंगू के प्रकार, प्रतिरक्षा सूचकांक और ‘चाइमेज़’ नामक बायोमार्कर की जांच की गई। चाइमेज़ एक एंज़ाइम है जो शरीर में सूजन के दौरान निकलता है और यह गंभीर डेंगू के संकेतक के रूप में जाना जाता है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
- करीब 61% मरीजों में जेईवी को निष्क्रिय करने वाली पूर्व प्रतिरक्षा पाई गई।
- जिन मरीजों के शरीर में मध्यम स्तर (1:160 टाइटर) की जेईवी एंटीबॉडी थी, उनमें चाइमेज़ का स्तर अत्यधिक पाया गया।
- ऐसे मरीजों में डेंगू बुखार के चेतावनी संकेत और गंभीर डेंगू की संभावना तीन गुना अधिक थी।
- चौंकाने वाली बात यह रही कि यह प्रभाव प्राथमिक डेंगू संक्रमण वाले मरीजों में भी स्पष्ट रूप से देखा गया, यानी पहले से डेंगू से संक्रमित होने की कोई भूमिका नहीं थी।
इससे यह सिद्ध होता है कि अकेले जेईवी प्रतिरक्षा, यदि वह मध्यम स्तर की है, तो डेंगू की गंभीरता को बढ़ा सकती है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़े सबक
यह अध्ययन उस चिंताजनक “मध्य-स्तरीय” प्रतिरक्षा क्षेत्र की ओर इशारा करता है जहाँ एंटीबॉडीज़ पर्याप्त नहीं होतीं सुरक्षा देने के लिए, लेकिन इतनी होती हैं कि वे संक्रमण को और बढ़ा देती हैं। यह परिस्थिति ज़ीका और डेंगू के संबंध में पहले भी देखी जा चुकी है।
इसके विशेष मायने भारत जैसे देशों के लिए हैं, जहाँ जेई टीकाकरण कार्यक्रम सफल रहा है, लेकिन डेंगू का प्रसार लगातार बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन और बढ़ती मानसून अवधि ने डेंगू के प्रकोपों की प्रकृति को पूरी तरह बदल दिया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस और डेंगू वायरस दोनों Flavivirus परिवार के सदस्य हैं।
- भारत में JE टीकाकरण 2006 में शुरू हुआ था, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उच्च जोखिम वाले राज्यों में।
- चाइमेज़ (Chymase) को अब तक कई अध्ययनों में गंभीर डेंगू के भरोसेमंद बायोमार्कर के रूप में मान्यता मिल चुकी है।
- डेंगू के मामलों की संख्या भारत में हर साल लगभग 1 लाख से अधिक होती है, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।