जल सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय पहल: ग्रामीण विकास की नई दिशा

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान और जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने नई दिल्ली में “जल सुरक्षा पर राष्ट्रीय पहल” (National Initiative on Water Security) का संयुक्त रूप से शुभारंभ किया। यह पहल देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए, भावी पीढ़ियों और कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत नींव तैयार करने की दिशा में एक अहम कदम है।

मनरेगा में जल संरक्षण के लिए सुनिश्चित बजट प्रावधान

श्री चौहान ने उद्घाटन अवसर पर घोषणा की कि अब मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत एक निश्चित हिस्सा जल संरक्षण कार्यों पर अनिवार्य रूप से खर्च किया जाएगा। उन्होंने बताया कि:

  • अति-उपयोग और संकटग्रस्त ग्रामीण खंडों में 65% मनरेगा फंड जल से संबंधित कार्यों के लिए आरक्षित किया जाएगा।
  • अर्ध-संकटग्रस्त खंडों में 40% फंड जल संरक्षण के लिए खर्च किए जाएंगे।

इस निर्णय का उद्देश्य भूजल पुनर्भरण, सतही जल संग्रहण, वर्षा जल संचयन, और परंपरागत जल स्रोतों के पुनर्नवीनीकरण जैसे उपायों को मजबूती देना है।

जल संरक्षण: एक व्यापक दृष्टिकोण

मंत्री ने इस पहल को भविष्य की पीढ़ियों, पशुधन, वन्यजीवों, पर्यावरण और कृषि के लिए लाभकारी बताया। यह एक समग्र दृष्टिकोण है जो केवल मानव उपयोग तक सीमित न होकर सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को ध्यान में रखता है।
जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने भी इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जल संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह नई पहल भारत में जल सुरक्षा सुनिश्चित करने और सतत ग्रामीण विकास को गति देने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • मनरेगा के अंतर्गत अब जल संरक्षण कार्यों पर अनिवार्य खर्च का प्रावधान किया गया है।
  • अति-उपयोग वाले क्षेत्रों में 65% और अर्ध-संकटग्रस्त क्षेत्रों में 40% फंड जल संरक्षण के लिए खर्च होंगे।
  • यह पहल कृषि, पशुपालन, पर्यावरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी मानी जा रही है।
  • जल शक्ति मंत्रालय और कृषि मंत्रालय ने संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम की शुरुआत की है।

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