जल जीवन मिशन की संपत्तियाँ अब पीएम गति शक्ति प्लेटफॉर्म पर होंगी मैप

भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) के अंतर्गत निर्मित सभी पेयजल संपत्तियों — विशेष रूप से पाइपलाइनों — को पीएम गति शक्ति प्लेटफ़ॉर्म पर मैप करने की योजना बनाई है। यह कदम देश भर में ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता परियोजनाओं की निगरानी, योजना और मूल्यांकन को और अधिक डेटा-संचालित और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
पीएम गति शक्ति और जल जीवन मिशन का समन्वय
जल शक्ति मंत्रालय के अधीन पेयजल और स्वच्छता विभाग (DDWS) ने इस उद्देश्य से भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG-N) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoA) पर हस्ताक्षर किए हैं। BISAG-N, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्था है, जिसने पीएम गति शक्ति प्लेटफ़ॉर्म को विकसित किया है।
यह सहयोग जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए एक संयुक्त जीआईएस-सक्षम निर्णय समर्थन प्रणाली के विकास की दिशा में एक ठोस कदम है। यह प्लेटफॉर्म योजना निर्माण, निगरानी और मूल्यांकन की प्रक्रिया को अधिक सटीक और प्रभावशाली बनाएगा।
पाइपलाइन और जल संरचनाओं का डिजिटलीकरण
समझौते के तहत, BISAG-N डेटा बेस डिज़ाइन, मानचित्र निर्माण, डेटा माइग्रेशन, सॉफ्टवेयर विकास और सिस्टम इंटीग्रेशन जैसी सेवाएं प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, प्लेटफ़ॉर्म में ग्राउंड कंट्रोल सर्वेइंग, डिजिटल फोटोग्रामेट्री, वेक्टर डेटा कैप्चर और थीमैटिक मैपिंग जैसी आधुनिक विशेषताएँ भी शामिल होंगी।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत अब तक लाखों किलोमीटर पाइपलाइनों का निर्माण किया जा चुका है। इन सभी को जीआईएस आधारित प्लेटफॉर्म पर मैप कर दिया जाएगा, जिससे इन संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और रख-रखाव संभव होगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- जल जीवन मिशन की शुरुआत: वर्ष 2019 में हर ग्रामीण परिवार को नल से जल कनेक्शन देने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था।
- वित्तीय प्रावधान: मिशन के लिए कुल ₹3.60 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया था, जिसमें ₹2.08 लाख करोड़ केंद्र और ₹1.52 लाख करोड़ राज्य सरकारों का हिस्सा था।
- अब तक की प्रगति: 12.74 करोड़ ग्रामीण घरों को नल कनेक्शन मिल चुका है और ₹3.91 लाख करोड़ की राशि खर्च हो चुकी है।
- भविष्य की योजना: वित्त मंत्री द्वारा बजट 2025 में मिशन को 2028 तक बढ़ाने की घोषणा की गई है, परंतु इसके लिए कैबिनेट की अंतिम स्वीकृति अभी लंबित है।