जलवायु संकट की चेतावनी: केवल तीन वर्षों में समाप्त हो सकता है आधा वैश्विक कार्बन बजट

वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखने के लिए जो कार्बन बजट बचा है, उसका 50% हिस्सा मात्र तीन वर्षों में समाप्त हो सकता है यदि कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का उत्सर्जन 2024 की दर पर जारी रहा। यह चेतावनी इंडिकेटर्स ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट चेंज (IGCC) की नवीनतम वैज्ञानिक रिपोर्ट से सामने आई है, जो वैश्विक नीति निर्माताओं के लिए वार्षिक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करती है।
कितना कार्बन बजट शेष है?
वर्तमान में शेष कार्बन बजट इस प्रकार है:
- 1.5°C के लिए: 130 गीगाटन CO₂
- 1.6°C के लिए: 310 गीगाटन CO₂
- 1.7°C के लिए: 490 गीगाटन CO₂
- 2°C के लिए: 1050 गीगाटन CO₂
2024 में वार्मिंग का स्तर और तेजी
- 2024 में मानवजनित वैश्विक तापमान वृद्धि 1.36°C आंकी गई है।
- 2015 से 2024 के बीच तापमान में प्रति दशक 0.27°C की वृद्धि दर्ज की गई है।
- यदि यह दर जारी रही, तो 1.5°C का स्तर अगले पांच वर्षों में पार हो सकता है।
वार्मिंग के दो प्रमुख कारण
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ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि:
- 2014–2023 के दशक में औसतन 53.6 गीगाटन CO₂e प्रतिवर्ष उत्सर्जन हुआ—अब तक का सबसे अधिक।
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एरोसोल कूलिंग प्रभाव में कमी:
- जीवाश्म ईंधन जलने से उत्पन्न सल्फेट कण सूर्य की रोशनी को परावर्तित कर वातावरण को ठंडा करते थे।
- यूरोप में प्रदूषण नियंत्रण के कारण एरोसोल की मात्रा घटी, जिससे यह ठंडा करने वाला प्रभाव कमजोर पड़ा।
पृथ्वी की ऊर्जा असंतुलन और महासागर पर प्रभाव
- पृथ्वी की ऊर्जा असंतुलन (EEI) 1975–1994 में 0.43 W/m² से बढ़कर 2005–2024 में 0.89 W/m² हो गया।
- महासागर इस गर्मी का 90% से अधिक अवशोषित कर रहे हैं, जिससे गहराई (700–2000 मीटर) में तापमान में स्पष्ट वृद्धि देखी गई है।
समुद्र स्तर में वृद्धि
- 2019–2024 के बीच समुद्री जल स्तर में 26.1 मिमी की वृद्धि।
- 1901–2024 में कुल वृद्धि: 228 मिमी (औसतन 1.85 मिमी प्रति वर्ष)।
- समुद्र स्तर दो कारणों से बढ़ता है: गर्म पानी का प्रसार और हिमनदों से पानी का जुड़ना।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- वैश्विक कार्बन बजट (1.5°C): 130 गीगाटन CO₂
- 2024 में मानवजनित तापमान वृद्धि: 1.36°C
- EEI (2005–2024): 0.89 W/m²
- 2019–2024 में समुद्र स्तर वृद्धि: 26.1 मिमी
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (2014–2023): 53.6 गीगाटन CO₂e प्रति वर्ष
निष्कर्ष
यह दशक जलवायु संकट को रोकने का निर्णायक काल है। IGCC की रिपोर्ट बताती है कि अब भी यदि उत्सर्जन नहीं घटाया गया, तो 1.5°C की सीमा कुछ ही वर्षों में टूट जाएगी। तापमान में यह वृद्धि मानव स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी, समुद्र स्तर और कृषि पर गहरा असर डालेगी। इसलिए तात्कालिक और समन्वित वैश्विक जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता है — उत्सर्जन में कटौती, नवीकरणीय ऊर्जा पर निवेश, और सतत विकास की दिशा में ठोस नीतियाँ आज की आवश्यकता बन चुकी हैं।