जलवायु पर युद्ध का प्रहार: गाज़ा संघर्ष से उत्सर्जित कार्बन का वैश्विक असर

इज़राइल और गाज़ा के बीच 15 महीने तक चले युद्ध ने न केवल जान-माल का भयानक नुकसान किया, बल्कि जलवायु पर भी एक गंभीर संकट उत्पन्न किया है। एक ताज़ा अध्ययन के अनुसार, इस युद्ध के दौरान हुए ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन की मात्रा 36 देशों के वार्षिक उत्सर्जन से अधिक है, और यदि पूर्व-युद्ध निर्माण और युद्धोत्तर पुनर्निर्माण को शामिल किया जाए, तो यह 102 से अधिक देशों के कुल वार्षिक उत्सर्जन को पार कर जाता है।
युद्ध के तीन चरणों से उत्सर्जन
1. पूर्व-युद्ध निर्माण:गाज़ा में हमास की सुरंगों और इज़राइल की 65 किमी लंबी “आयरन वॉल” सुरक्षा दीवार के निर्माण में भारी मात्रा में सीमेंट और स्टील का उपयोग हुआ, जिससे लगभग 5.57 लाख टन CO₂ समतुल्य उत्सर्जन हुआ।
2. सक्रिय युद्ध चरण:सीधे सैन्य अभियानों से लगभग 19 लाख टन CO₂ समतुल्य उत्सर्जन हुआ। इसके स्रोतों में शामिल हैं:
- हवाई और समुद्री माल डिलीवरी: 5.55 लाख टन
- इज़राइली बमबारी और हवाई हमले: 2.52 लाख टन
- ज़मीनी सैन्य वाहन: 47,000 टन
- गाज़ा में ईंधन आधारित बिजली: 1.31 लाख टन
- मानवीय सहायता ट्रक: 8.17 लाख टन
- रॉकेट प्रक्षेपण और तोपखाना उपयोग: हज़ारों टन अतिरिक्त उत्सर्जन
3. युद्धोत्तर पुनर्निर्माण:गाज़ा की 54-66% इमारतें क्षतिग्रस्त या नष्ट हो चुकी हैं। इनका पुनर्निर्माण लगभग 2.97 करोड़ टन CO₂ समतुल्य उत्सर्जन करेगा, जिसमें से केवल घरों के पुनर्निर्माण से ही 2.68 करोड़ टन उत्सर्जन संभावित है।
“स्कोप 3+” ढांचे की आवश्यकता
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान वैश्विक जलवायु रिपोर्टिंग प्रणालियाँ युद्धों से जुड़े उत्सर्जन को दर्ज नहीं करतीं। अध्ययनकर्ताओं ने “स्कोप 3+” नामक एक नया ढांचा प्रस्तावित किया है, जिसमें युद्धजनित अप्रत्यक्ष उत्सर्जन भी शामिल हो सकें, जैसे:
- बुनियादी ढाँचे की तबाही
- मानवीय विस्थापन
- आपातकालीन सहायता लॉजिस्टिक्स
- पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान, मलबा और आग
वैश्विक जलवायु लक्ष्यों पर खतरा
सैन्य गतिविधियाँ और युद्ध तैयारी वैश्विक GHG उत्सर्जन में अनुमानतः 5.5% तक योगदान करती हैं — जो नागरिक उड्डयन और समुद्री परिवहन से भी अधिक है। फिर भी, यह उत्सर्जन अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ताओं से लगभग पूरी तरह अनुपस्थित है।