जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2026 में भारत की रैंकिंग में भारी गिरावट
भारत की स्थिति हाल ही में जारी क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स (CCPI) 2026 में 13 पायदान नीचे गिरकर 23वें स्थान पर आ गई है। यह पिछले कुछ वर्षों में भारत की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद कोयले पर निर्भरता, बढ़ते ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन और कार्बन पर कमजोर मूल्य संकेत जैसी चुनौतियाँ उसकी समग्र रैंकिंग को प्रभावित कर रही हैं।
क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स क्या है
CCPI 2026 रिपोर्ट ब्राज़ील के बेलें में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP30) के दौरान जारी की गई। यह सूचकांक 63 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है, जो मिलकर वैश्विक GHG उत्सर्जन के 90% से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं। आकलन चार श्रेणियों में किया जाता है ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा उपयोग और जलवायु नीति। दिलचस्प बात यह है कि कोई भी देश शीर्ष तीन स्थानों पर नहीं है, क्योंकि अब तक कोई भी राष्ट्र जलवायु परिवर्तन को सीमित करने के लक्ष्य के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाया है।
CCPI 2026 में भारत की स्थिति
भारत अब 61.31 के कुल स्कोर के साथ 23वें स्थान पर है। यह पहले “उच्च प्रदर्शन” श्रेणी में था, लेकिन अब “मध्यम प्रदर्शन” श्रेणी में आ गया है। देश को GHG उत्सर्जन, ऊर्जा उपयोग और जलवायु नीति के लिए “मध्यम” रेटिंग मिली है, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा के लिए “निम्न” रेटिंग दी गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े कोयला, तेल और गैस उत्पादकों में से एक है, जिससे उसके विकास पथ और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के बीच असंतुलन झलकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति, पर कोयला अब भी प्रमुख
CCPI रिपोर्ट के अनुसार भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्तमान में गैर-जीवाश्म स्रोत देश की कुल स्थापित विद्युत क्षमता का 50% से अधिक हिस्सा बनाते हैं, जो भारत के 2030 के लक्ष्य से पहले ही हासिल कर लिया गया है। सौर ऊर्जा, विशेषकर रूफटॉप सोलर, में भी तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है। इसके बावजूद, भारत की ऊर्जा नीति अब भी कोयले पर आधारित है न तो कोयला समाप्ति की कोई निश्चित तिथि घोषित की गई है और न ही नए खनन ब्लॉकों की नीलामी पर रोक लगी है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- CCPI 2026 में भारत की रैंकिंग 13 स्थान गिरकर 23 पर पहुँची।
- यह सूचकांक 63 देशों और यूरोपीय संघ का मूल्यांकन करता है।
- शीर्ष तीन स्थान खाली हैं; डेनमार्क, ब्रिटेन और मोरक्को क्रमशः 4वें, 5वें और 6वें स्थान पर हैं।
- भारत ने 2030 लक्ष्य से पहले ही 50% गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता हासिल कर ली है।
भारत के लिए मुख्य चुनौतियाँ और सिफारिशें
विशेषज्ञों ने भारत की जलवायु नीति में कई चिंताएँ जताई हैं जैसे कोयले की चरणबद्ध समाप्ति की स्पष्ट समयसीमा का अभाव, कार्बन मूल्य निर्धारण में असमानता, और जीवाश्म ईंधन पर दी जाने वाली सब्सिडियाँ जो उच्च उत्सर्जन संरचना को बनाए रखती हैं। रिपोर्ट में भारत से एक “कोयला चरणबद्ध समाप्ति योजना” तैयार करने, 2035 और 2040 के लिए स्पष्ट डिकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को निर्धारित करने और बड़े पैमाने पर नवीकरणीय परियोजनाओं के सामाजिक-पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही, श्रमिकों, किसानों, महिलाओं और कमजोर समुदायों के लिए एक न्यायपूर्ण संक्रमण (Just Transition) नीति बनाने की भी आवश्यकता बताई गई है।