जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में समुद्री संरक्षण की चुनौती: समुद्री कछुओं पर नया अध्ययन

समुद्री जैव विविधता की रक्षा के लिए निर्धारित ‘कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा’ के 30×30 लक्ष्य — यानी 2030 तक समुद्रों के 30% हिस्से को संरक्षित क्षेत्र बनाना — की दिशा में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बीच एक नया अध्ययन समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (Marine Protected Areas – MPAs) की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। विशेषकर समुद्री कछुओं पर केंद्रित यह अध्ययन दिखाता है कि जलवायु परिवर्तन के चलते उनके पारंपरिक आवास बदल रहे हैं और वे संरक्षित क्षेत्रों से बाहर निकलकर खतरनाक समुद्री क्षेत्रों में जा रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते आवास

25 जून 2025 को साइंस एडवांसेज़ में प्रकाशित इस अध्ययन में बेल्जियम की यूनिवर्सिटी लिब्रे दे ब्रुसेल्स के वैज्ञानिकों एडुआर्ड डुकैन और डेनिस फॉर्नियर ने 27,703 समुद्री कछुओं की निगरानी और 1 अरब से अधिक जहाज स्थानों का विश्लेषण किया। अध्ययन से यह सामने आया कि समुद्री कछुए अब ठंडे पानी वाले क्षेत्रों की ओर जा रहे हैं — जैसे कि उत्तरी सागर, भूमध्य सागर, पूर्वी चीन सागर और गैलापागोस द्वीपों के आस-पास — जो कि भारी जहाज यातायात वाले क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में जहाजों से टकराने का खतरा अत्यधिक है।

वर्तमान MPA प्रणाली की सीमाएँ

वर्तमान में केवल 23% समुद्री कछुओं के महत्त्वपूर्ण आवास क्षेत्रों को MPA के तहत संरक्षित किया गया है। हालांकि 8% समुद्री क्षेत्र को MPA घोषित किया गया है, लेकिन इनका केवल 3% ही प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा रहा है। यह स्थिति दर्शाती है कि स्थिर और पारंपरिक MPAs बदलते समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने में सक्षम नहीं हैं।

SSP परिदृश्यों के आधार पर भविष्यवाणियाँ

इस अध्ययन में जलवायु परिवर्तन के तीन परिदृश्य (SSP1-2.6, SSP2-4.5 और SSP5-8.5) का प्रयोग किया गया। सबसे खराब स्थिति (SSP5-8.5) में समुद्री कछुओं की 67% तक वर्तमान आवास क्षमता समाप्त हो सकती है। उदाहरण के लिए, कैरेट्टा कैरेट्टा और डर्मोचेलिस कोरियासिया जैसे प्रजातियाँ गंभीर संकट में होंगी, जबकि चेलोनिया मिडास जैसी प्रजातियाँ ठंडे क्षेत्रों में नई जगहें खोज सकती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • 30×30 लक्ष्य 2030 तक समुद्र के 30% क्षेत्र को संरक्षित बनाना चाहता है।
  • वर्तमान में केवल 3% MPA प्रभावी ढंग से प्रबंधित किए जा रहे हैं।
  • अध्ययन ने 7 समुद्री कछुये प्रजातियों के डाटा और 1 अरब से अधिक जहाजों की जानकारी का विश्लेषण किया।
  • समुद्री जहाज टकराव समुद्री कछुओं की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।

समाधान: गतिशील और जलवायु-संवेदी संरक्षण रणनीति

वैज्ञानिकों ने पारंपरिक स्थिर MPAs से आगे बढ़ते हुए ‘रियल टाइम’ संरक्षण रणनीतियाँ अपनाने की सिफारिश की है। अमेरिकी पश्चिमी तट पर WhaleWatch जैसे मॉडल और कैलिफोर्निया के ‘ब्लू व्हेल्स एंड ब्लू स्काईज’ कार्यक्रम को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत किया गया है, जहां समुद्री स्तनधारियों के आवास क्षेत्रों में जहाजों की गति को सीमित किया जाता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि समुद्री कछुओं के भविष्य के संभावित आवास क्षेत्रों को पहचानकर MPAs का विस्तार किया जाए और EEZs (राष्ट्रीय विशेष आर्थिक क्षेत्र) में स्थित जोखिमपूर्ण क्षेत्रों में जहाज गति नियंत्रण जैसे उपाय किए जाएं।
यह अध्ययन स्पष्ट करता है कि केवल पारंपरिक संरक्षण पर्याप्त नहीं है; अब समय आ गया है कि समुद्री संरक्षण उपाय जलवायु परिवर्तन के अनुरूप विकसित हों और ऐसे लचीले मॉडल अपनाएं जो तेजी से बदलते समुद्री परिवेश के अनुसार कार्य कर सकें। यही दृष्टिकोण हमें 30×30 लक्ष्य की ओर वास्तविक और प्रभावी कदमों के साथ आगे बढ़ा सकता है।

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