जम्मू और कश्मीर स्थानीय निकाय कानून (संशोधन) विधेयक, 2024

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से लोकसभा में एक नया विधेयक पेश किया है।

प्रस्तावित कानून मौजूदा कानूनों में संशोधन करने और उन्हें संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप लाने का प्रयास करता है। ओबीसी के लिए आरक्षित की जाने वाली सीटों की संख्या एक आयोग द्वारा निर्धारित की जाएगी, जिसे कानून पारित होने के बाद स्थापित किया जाएगा।

पृष्ठभूमि

वर्तमान में, जम्मू-कश्मीर में पंचायतों और नगर पालिकाओं में ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं है। प्रस्तावित कानून में इसे बदलने का प्रयास किया गया है, जिससे भारत की आजादी के बाद 75 वर्षों में पहली बार इन स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।

विधान का उद्देश्य

जम्मू और कश्मीर स्थानीय निकाय कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य संवैधानिक प्रावधानों के साथ स्थिरता सुनिश्चित करना है। यह जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989, जम्मू-कश्मीर नगर अधिनियम, 2000 और जम्मू-कश्मीर नगर निगम अधिनियम, 2000 में संशोधन करना चाहता है। ये संशोधन पंचायतों और नगर पालिकाओं से संबंधित संविधान के भाग IX और भाग IXA के अनुरूप हैं।

संवैधानिक प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 243D और 243T राज्य विधानसभाओं को पिछड़े वर्गों के लिए पंचायतों और नगर पालिकाओं में सीटें आरक्षित करने का अधिकार देते हैं। हालाँकि, जम्मू और कश्मीर में मौजूदा कानून ऐसे आरक्षण का प्रावधान नहीं करते हैं। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य इस विसंगति को दूर करना है।

राज्य चुनाव आयोग की भूमिका

संविधान के अनुच्छेद 243K और 243ZA के अनुसार, मतदाता सूची तैयार करना और पंचायतों और नगर पालिकाओं के लिए चुनाव कराना राज्य चुनाव आयोग (SEC) के दायरे में आता है। इसी तरह का प्रावधान जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में मौजूद है। हालाँकि, जम्मू-कश्मीर में नगरपालिका कानून ये जिम्मेदारियाँ मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपते हैं, जिससे संवैधानिक प्रावधानों में भिन्नता आती है।

Originally written on February 7, 2024 and last modified on February 7, 2024.

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