जन विश्वास संशोधन विधेयक, 2025: ‘ईज ऑफ लिविंग’ और व्यापार सुगमता की दिशा में बड़ा कदम

केंद्र सरकार ने लोकसभा में जन विश्वास (संशोधन प्रावधान) विधेयक, 2025 पेश किया है, जिसका उद्देश्य विभिन्न केंद्रीय कानूनों में दंडात्मक प्रावधानों को कम करना और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। यह विधेयक 16 केंद्रीय अधिनियमों की 355 धाराओं में संशोधन का प्रस्ताव रखता है, जिनमें से 288 धाराओं को अपराधमुक्त (decriminalised) करने और 67 धाराओं को ‘ईज ऑफ लिविंग’ के लिए संशोधित करने की योजना है।

विधेयक के प्रमुख उद्देश्य और विशेषताएँ

जन विश्वास विधेयक, 2025, जन विश्वास अधिनियम, 2023 का ही विस्तार है, जो पहली बार कई अधिनियमों के अंतर्गत छोटे-मोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने की दिशा में एक समेकित कानून था। 2023 के अधिनियम के अंतर्गत 42 केंद्रीय अधिनियमों की 183 धाराओं को अपराधमुक्त घोषित किया गया था।
2025 के विधेयक की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • 10 अधिनियमों के अंतर्गत 76 अपराधों में पहली बार गलती करने पर केवल चेतावनी या परामर्श दिया जाएगा।
  • तकनीकी या प्रक्रियागत त्रुटियों के लिए जेल की सजा को खत्म कर मौद्रिक दंड या चेतावनी से प्रतिस्थापित किया जाएगा।
  • बार-बार गलती करने पर दंड की राशि क्रमशः बढ़ाई जाएगी।
  • नए अधिनियम के लागू होने के बाद हर तीन साल में न्यूनतम दंड या जुर्माने की राशि में 10% की वृद्धि की जाएगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • विधेयक में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की 20 और नई दिल्ली नगर परिषद अधिनियम, 1994 की 47 धाराओं को संशोधित करने का प्रस्ताव है।
  • विधेयक को लोकसभा की एक चयन समिति (Select Committee) को भेजा गया है जो अगली संसद सत्र की पहली तिथि तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
  • 2023 के अधिनियम में 19 मंत्रालयों या विभागों के अंतर्गत आने वाले 42 अधिनियमों को शामिल किया गया था।
  • विधेयक में उल्लेख किया गया है कि दंड के मामलों को अदालत के बाहर सुलझाने से न्यायिक व्यवस्था पर बोझ कम होगा।

न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन की दिशा में पहल

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह विधेयक भरोसे पर आधारित शासन की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पुराने और जटिल नियमों का जाल जनता और सरकार के बीच अविश्वास उत्पन्न करता है। सरकार का उद्देश्य न्यूनतम हस्तक्षेप और अधिकतम प्रभाव वाला प्रशासनिक तंत्र बनाना है, जिससे जनता और व्यवसायों का जीवन सरल बने।
सरकार ने यह भी कहा कि बदलते तकनीकी और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में पुराने दंडात्मक प्रावधानों को हटाना आवश्यक है। छोटे अपराधों के लिए जेल का डर न केवल व्यवसायिक विकास को बाधित करता है, बल्कि आम नागरिकों के आत्मविश्वास को भी प्रभावित करता है।
जन विश्वास विधेयक, 2025, न केवल व्यापारिक सुधारों को गति देगा बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया को भी मानवीय और व्यावहारिक बनाएगा, जिससे आम नागरिकों का शासन व्यवस्था में विश्वास और मजबूत होगा।

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