जन विश्वास विधेयक 2025: छोटे अपराधों के लिए जेल नहीं, अब चेतावनी और सुधार का मौका

भारत सरकार ने छोटे तकनीकी अपराधों को अपराध-मुक्त करने और सजा को युक्तिसंगत बनाने के लिए लोकसभा में ‘जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किया है। यह विधेयक Ease of Living और Ease of Doing Business को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
विधेयक की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
भारत में लगभग 882 केंद्रीय कानून हैं, जिनमें 370 कानूनों में 7,305 अपराध परिभाषित हैं। इनमें से अधिकतर का संबंध आपराधिक न्याय व्यवस्था से नहीं, बल्कि व्यापार, नगर शासन, कर प्रणाली जैसे क्षेत्रों से है। ऐसे कई कानूनों में छोटे अपराधों पर भी जेल की सजा का प्रावधान है, जिससे न्याय व्यवस्था पर अनावश्यक बोझ बढ़ता है।
सरकार का उद्देश्य है कि तकनीकी भूलों और प्रक्रियात्मक चूकों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाए और ऐसे मामलों में चेतावनी या आर्थिक दंड देकर सुधार का अवसर दिया जाए। यह विधेयक इसी विचारधारा के अंतर्गत लाया गया है।
प्रमुख विशेषताएँ और प्रस्तावित बदलाव
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355 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव:
- 288 अपराधों को अपराध-मुक्त किया जाएगा।
- 67 प्रावधानों में दंड को युक्तिसंगत बनाया जाएगा।
- पहली बार अपराध करने पर चेतावनी या सुधार सूचना की व्यवस्था की गई है। उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति पहली बार मानक रहित वजन या माप का उपयोग करता है, तो उसे पहले सुधार के लिए समय दिया जाएगा।
- जेल की सजा को जुर्माने से प्रतिस्थापित किया गया है। जैसे – विद्युत अधिनियम के तहत पहले तीन माह की जेल का प्रावधान था, अब इसकी जगह ₹10,000 से ₹10 लाख तक का जुर्माना होगा।
- दंडों का स्वतः बढ़ोतरी तंत्र: बार-बार अपराध करने पर हर तीन साल में जुर्माने में 10% की स्वचालित वृद्धि की जाएगी।
जिन अधिनियमों में संशोधन प्रस्तावित हैं
- रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934
- औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940
- मोटर वाहन अधिनियम, 1988
- दिल्ली और नई दिल्ली नगर निगम अधिनियम
- विद्युत अधिनियम, 2003
- कानूनी मापविज्ञान अधिनियम, 2009
- एमएसएमई विकास अधिनियम, 2006
- और अन्य 9 अधिनियम
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- जन विश्वास अधिनियम 2023 के अंतर्गत 42 केंद्रीय कानूनों में 183 अपराधों को हटाया गया था।
- 2025 विधेयक में 10 मंत्रालयों के तहत आने वाले 16 अधिनियम शामिल हैं।
- भारत में 3.6 करोड़ से अधिक आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से 2.3 करोड़ से अधिक एक वर्ष पुराने हैं।
- 1,536 व्यावसायिक नियमों में से आधे से अधिक में जेल की सजा का प्रावधान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2025 पर अपने संबोधन में इन अनावश्यक और अनुपयुक्त कानूनों को हटाने के अपने संकल्प को दोहराया था। उन्होंने कहा था, “ऐसे कई कानून हैं जो छोटे-छोटे अपराधों के लिए जेल की सजा का प्रावधान रखते हैं… हमने एक विधेयक पहले भी लाया था, अब दूसरा विधेयक फिर से लाया गया है।”
विधेयक को लोकसभा की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया है, जो अगले सत्र की पहली तिथि तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। यदि पारित होता है, तो यह विधेयक भारत की न्याय व्यवस्था को अधिक व्यावहारिक, उत्तरदायी और नागरिक हितैषी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बन सकता है।