जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा: भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर राष्ट्रव्यापी उत्सव
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 1 से 15 नवंबर 2025 तक “जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा” के आयोजन की घोषणा की है, जो “जनजातीय गौरव वर्ष” का भव्य समापन और धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का राष्ट्रीय उत्सव है। यह पखवाड़ा पूरे देश में जनजातीय समुदायों की विरासत, संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को सम्मानित करने हेतु आयोजित किया जा रहा है।
समावेशी विकास की दिशा में एक दशक की उपलब्धियाँ
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते दशक में जनजातीय सशक्तिकरण और कल्याण के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। इस पखवाड़े के माध्यम से प्रमुख योजनाओं की उपलब्धियों को रेखांकित किया जा रहा है:
- प्रधानमंत्री जनजातीय मानव विकास मिशन (PM JANMAN)
- आदि कर्मयोगी अभियान
- राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन
- DAJGUA योजना
- जीविका और उद्यमिता कार्यक्रम
देशभर में सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजन
राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में जनजातीय संस्कृति, परंपरा और उपलब्धियों को उजागर करते हुए रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कुछ प्रमुख आयोजन इस प्रकार हैं:
- “त्राइबल फ्रेम्स फिल्म फेस्टिवल”, मणिपुर
- “शहीद वीर नारायण सिंह लोक कला महोत्सव”, छत्तीसगढ़
- त्राइबल मेले, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह
- “जनजातीय गौरव यात्रा”, गुजरात
- “आदि खेल दिवस”, उत्तराखंड
- महासम्मेलन, गोवा
इसके अतिरिक्त पूरे भारत में प्रदर्शनियाँ, युवा कार्यक्रम, और जनजागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, जो 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस पर समाप्त होंगे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलिहातु गाँव में हुआ था।
- वे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध ‘उलगुलान’ नामक जनजातीय आंदोलन के अग्रणी नेता थे।
- जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत भारत सरकार ने 2021 में की थी।
- TRIFED और NSTFDC जैसे संगठन जनजातीय उत्पादों और उद्यमिता को बढ़ावा देने में सक्रिय हैं।
जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा का यह आयोजन न केवल जनजातीय इतिहास और संस्कृति का उत्सव है, बल्कि एक सशक्त और समावेशी भारत की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक भी है। भगवान बिरसा मुंडा की अमर विरासत को नमन करते हुए यह आयोजन जनजातीय सशक्तिकरण की 11 वर्षों की उपलब्धियों को भी रेखांकित करता है। यह अवसर हर नागरिक को भारत की जनजातीय आत्मा के प्रति गर्व और सम्मान व्यक्त करने का आमंत्रण देता है।