जनगणना 2027: भारत की पहली पूर्ण डिजिटल जनगणना की तैयारी शुरू
भारत सरकार ने जनगणना 2027 के आयोजन को मंजूरी दे दी है, जो देश का अब तक का सबसे बड़ा प्रशासनिक और सांख्यिकीय उपक्रम होगा। इस महाअभियान का उद्देश्य देश की जनसंख्या और सामाजिक-आर्थिक संरचना की अद्यतन, सटीक और गहराई से जानकारी जुटाना है, ताकि नीतियों का निर्माण तथ्यों के आधार पर किया जा सके। लगभग ₹11,718.24 करोड़ की लागत से होने वाली यह जनगणना देश के हर घर और व्यक्ति तक पहुंचेगी।
जनगणना 2027 को दो प्रमुख चरणों में आयोजित किया जाएगा:
- हाउसलिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना (अप्रैल-सितंबर 2026): इस चरण में मकानों और रहन-सहन की स्थिति की जानकारी ली जाएगी।
- जनसंख्या गणना (फरवरी 2027): इस चरण में प्रत्येक नागरिक की उम्र, लिंग, शिक्षा, जाति, भाषा, रोजगार आदि से संबंधित जानकारी एकत्र की जाएगी।
हिमालयी और बर्फबारी वाले क्षेत्रों जैसे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में यह प्रक्रिया विशेष परिस्थितियों के कारण सितंबर 2026 में ही पूरी कर ली जाएगी।
यह पहली बार होगा जब भारत की जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यम से की जाएगी। इसके लिए कई तकनीकी पहल की जा रही हैं:
- मोबाइल ऐप आधारित डेटा संग्रहण: एंड्रॉइड और iOS प्लेटफॉर्म पर आधारित ऐप के जरिए जानकारी दर्ज की जाएगी।
- Census Monitoring System: एक केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से पूरे देश की जनगणना की निगरानी और प्रबंधन किया जाएगा।
- स्व-गणना की सुविधा: नागरिक अपने मोबाइल या कंप्यूटर से स्वयं भी जनगणना में भाग ले सकेंगे।
- वेब-मैप आधारित योजना: फील्ड वर्क को सुचारू रूप से करने के लिए डिजिटल मानचित्र टूल्स का प्रयोग होगा।
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डेटा गोपनीयता और सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए गए हैं।
जनगणना 2027 में पहली बार जाति आधारित जानकारी भी डिजिटल रूप से एकत्र की जाएगी, जो सामाजिक न्याय और कल्याणकारी योजनाओं के निर्धारण में सहायक होगी।
इस अभियान में लगभग 30 लाख फील्ड वर्कर लगाए जाएंगे, जिनमें गणनाकर्मी, पर्यवेक्षक, प्रशिक्षक और अधिकारी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश कर्मचारी शिक्षकों और अन्य सरकारी कर्मियों में से चयनित होंगे, जिन्हें अतिरिक्त मानदेय दिया जाएगा।
जनगणना 2027 भारत के नीति निर्माण, आर्थिक योजना और सामाजिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल रोजगार के अवसर सृजित होंगे, बल्कि प्रशासनिक संरचना में तकनीकी सक्षमता भी बढ़ेगी, जिससे भविष्य में बेहतर सेवा वितरण संभव हो सकेगा।