जकार्ता बनी दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर
दुनिया की जनसंख्या के मानचित्र में एक ऐतिहासिक बदलाव दर्ज हुआ है। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता ने टोक्यो को पीछे छोड़ते हुए अब विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला शहरी क्षेत्र बन गया है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित नवीनतम आकलन के अनुसार, जकार्ता और उसके आसपास के महानगरीय क्षेत्र की आबादी लगभग 4.2 करोड़ (42 मिलियन) तक पहुँच गई है। यह आँकड़ा एशिया में तेजी से बढ़ते शहरीकरण की दिशा में एक और संकेत है।
एशिया में शहरीकरण की अभूतपूर्व गति
नवीनतम वैश्विक रैंकिंग बताती है कि दुनिया के दस सबसे अधिक जनसंख्या वाले शहरों में से नौ शहर एशिया में हैं। जकार्ता के बाद ढाका (3.7 करोड़) और टोक्यो (3.3 करोड़) का स्थान है। अन्य प्रमुख शहरों में नई दिल्ली, शंघाई, ग्वांगझोउ, काहिरा, मनीला, कोलकाता और सियोल शामिल हैं। यह परिदृश्य एशिया की तेज आर्थिक वृद्धि, उच्च जनसंख्या घनत्व और दीर्घकालिक जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों को दर्शाता है।
मेगासिटी बनने के प्रमुख कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि इन विशाल शहरी केंद्रों के विस्तार के पीछे कई कारक कार्यरत हैं
- ग्रामीण से शहरी प्रवास, जहाँ लोग रोजगार और बेहतर सुविधाओं की तलाश में शहरों की ओर बढ़ रहे हैं।
- तेज आर्थिक विकास, जिसने उद्योग और सेवा क्षेत्र में लाखों नए अवसर पैदा किए हैं।
- प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि, जो विशेषकर दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में तेज़ी से जारी है।भारत के शहर जैसे नई दिल्ली और कोलकाता हर वर्ष लाखों नए प्रवासियों को समेट रहे हैं, जिससे बुनियादी ढाँचे पर अत्यधिक दबाव बढ़ रहा है।
जकार्ता और अन्य मेगासिटीज़ की चुनौतियाँ
जकार्ता की नई स्थिति इसके सामने आने वाली चुनौतियों को भी उजागर करती है। शहर में बार-बार बाढ़, भूमिगत जल का क्षरण, भूमि धँसना, ट्रैफिक जाम और आवास की कमी जैसी समस्याएँ आम हैं। यही कारण है कि इंडोनेशियाई सरकार ने प्रशासनिक राजधानी को बोर्नियो द्वीप पर नए शहर “नुसंतारा” में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की है। इसी प्रकार ढाका, मनीला और नई दिल्ली जैसे शहर भी प्रदूषण और जलवायु जोखिमों से जूझ रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- जकार्ता विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला शहर बन गया है, कुल 4.2 करोड़ निवासियों के साथ।
- दुनिया के शीर्ष 10 जनसंख्या वाले शहरों में से 9 एशिया में हैं।
- मेगासिटी वृद्धि के प्रमुख कारण हैं प्रवास, आर्थिक अवसर और जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियाँ।
- एशियाई शहरों के लिए बुनियादी ढाँचा और जलवायु अनुकूलन सबसे बड़ी चुनौती है।
क्षेत्रीय योजना और भविष्य की दिशा
एशिया में मेगासिटीज़ की यह बढ़ती एकाग्रता बताती है कि सुनियोजित शहरी नीति, टिकाऊ बुनियादी ढाँचा और पर्यावरणीय संतुलन अब अनिवार्य हैं। यदि सरकारें सार्वजनिक परिवहन, आवास, जल प्रबंधन और जलवायु अनुकूलन में निवेश नहीं बढ़ातीं, तो ये शहर अपनी वहन क्षमता से अधिक दबाव झेलेंगे।