छात्रों की आत्महत्या रोकथाम पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: सभी राज्यों को रिपोर्ट देने का निर्देश
देशभर में बढ़ती छात्र आत्महत्याओं की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आठ सप्ताह के भीतर मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम से जुड़ी अपनी कार्यान्वयन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। यह कदम शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य ढांचे को प्रभावी रूप से लागू करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और अनुपालन रिपोर्ट
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह स्पष्ट करने के लिए हलफनामे मांगे हैं कि छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मामले में पक्षकार बनाते हुए उन्हें जनवरी 2026 में होने वाली अगली सुनवाई से पहले विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति
कोर्ट ने 25 जुलाई 2025 के अपने निर्णय की पुनः पुष्टि करते हुए सभी शैक्षणिक संस्थानों को निर्देश दिया कि वे ‘उम्मीद’ मसौदा दिशानिर्देशों, ‘मनोदर्पण’ पहल और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति से प्रेरित एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति लागू करें। यह नीति हर वर्ष समीक्षा के अधीन होगी और संस्थानों की वेबसाइट तथा सूचना पटों पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाएगी।
कानूनी शून्य और अस्थायी दिशानिर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में दिए गए अपने फैसले में यह कहा था कि भारत में छात्रों की आत्महत्या रोकथाम के लिए एकीकृत विधायी और नियामक तंत्र का अभाव है। इस अंतर को भरने के लिए कोर्ट ने 15 अनिवार्य दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो तब तक प्रभावी रहेंगे जब तक कि कोई औपचारिक कानून या नियामक ढांचा अस्तित्व में नहीं आ जाता। इनमें निजी कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण, छात्र सुरक्षा मानदंड और शिकायत निवारण तंत्र अनिवार्य रूप से शामिल किए गए हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आत्महत्या रोकथाम नीति पर 8 सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
- एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति को ‘उम्मीद’, ‘मनोदर्पण’ और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति से प्रेरित होना चाहिए।
- ‘उम्मीद’ दिशा-निर्देश 2023 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए थे।
- यह मामला आंध्र प्रदेश में एक 17 वर्षीय नीट अभ्यर्थी की आत्महत्या से जुड़ी याचिका से प्रारंभ हुआ।
केंद्र सरकार की पहल और भविष्य की रूपरेखा
शिक्षा मंत्रालय पहले ही ‘उम्मीद’ और ‘मनोदर्पण’ जैसी पहलें शुरू कर चुका है। ‘उम्मीद’ का पूर्ण रूप है: Understand, Motivate, Manage, Empathise, Empower, and Develop — जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को समझने और संवेदनशील तरीके से समर्थन देने के उद्देश्य से बनाया गया है। वहीं, ‘मनोदर्पण’ कार्यक्रम कोविड-19 काल के दौरान शुरू हुआ था ताकि छात्र कल्याण को बढ़ावा दिया जा सके।
अब सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इन पहलों को केवल कागजों तक सीमित न रखकर देशभर के सभी शिक्षण संस्थानों में प्रभावी रूप से लागू किया जाना अनिवार्य होगा। जनवरी 2026 में अगली सुनवाई के दौरान अनुपालन की स्थिति की समीक्षा की जाएगी, जो इस दिशा में एक निर्णायक क्षण हो सकता है।