छठ महापर्व को यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल कराने की पहल: सांस्कृतिक गौरव और वैश्विक मान्यता की ओर भारत

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस उद्देश्य से मंगलवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA), नई दिल्ली में एक उच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय परामर्श बैठक आयोजित की गई।
बैठक में संयुक्त अरब अमीरात, सूरीनाम और नीदरलैंड के वरिष्ठ राजनयिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह चर्चा यूनेस्को की 2003 की कन्वेंशन के तहत बहु-राष्ट्रीय नामांकन की दिशा में की गई।

भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को नया आयाम

बैठक की अध्यक्षता संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने की, जिसमें संस्कृति मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी और IGNCA के अधिकारी भी उपस्थित थे। प्रतिनिधियों ने छठ महापर्व की सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित किया और इसके नामांकन में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
शाम को आयोजित एक वर्चुअल सत्र में संस्कृति सचिव ने मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, यूएई और नीदरलैंड में भारतीय राजदूतों से चर्चा की, जिन्होंने प्रवासी समुदायों की पहचान और नामांकन प्रक्रिया के लिए आवश्यक डेटा उपलब्ध कराने में सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई।

छठ महापर्व: प्रकृति, परंपरा और सामाजिक समरसता का प्रतीक

छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित भारत का एक प्राचीन और अत्यंत लोकप्रिय त्योहार है। यह बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है और विश्वभर में भारतीय प्रवासी समुदायों के बीच गहरे भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव का स्रोत है।
इस पर्व की विशेषताएं:

  • पारिस्थितिक संतुलन: पूरी तरह से प्राकृतिक और प्रदूषण-मुक्त पूजा विधि
  • सामाजिक समरसता: जाति, धर्म, लिंग के भेद से परे, सभी समुदायों की सहभागिता
  • सांस्कृतिक निरंतरता: पीढ़ियों से पारंपरिक तरीकों से मनाया जाने वाला जीवंत उत्सव

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची (Representative List of the Intangible Cultural Heritage of Humanity) का उद्देश्य सांस्कृतिक परंपराओं को वैश्विक स्तर पर पहचान देना है।
  • भारत के अब तक 15 सांस्कृतिक तत्व इस सूची में शामिल किए जा चुके हैं।
  • यूनेस्को की 2003 कन्वेंशन में शामिल देश अपनी विरासत के संरक्षण और प्रचार-प्रसार हेतु नामांकन प्रस्तुत कर सकते हैं।
  • बहु-राष्ट्रीय नामांकन (multinational nomination) तब किया जाता है जब एक सांस्कृतिक तत्व कई देशों में जीवित परंपरा के रूप में मौजूद होता है।

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