चुनाव आयोग ने EVM जांच के लिए जारी की नई SOP: जानिए क्या बदला है

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की जांच और सत्यापन के लिए संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है। यह प्रक्रिया उन उम्मीदवारों के लिए लागू होगी जो किसी चुनाव में दूसरे या तीसरे स्थान पर आते हैं। यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के मई 2024 के आदेश के बाद किया गया, जिसमें ECI ने कुछ बदलावों पर सहमति जताई थी।

EVM जांच प्रक्रिया क्या है?

पहली बार अप्रैल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने EVM के उपयोग को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन साथ ही यह व्यवस्था की गई कि दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार EVM की जांच की मांग कर सकते हैं। इसके बाद ECI ने जून 2024 में प्रशासनिक SOP और जुलाई 2024 में तकनीकी SOP जारी की।
इस SOP के तहत उम्मीदवार 5% तक ईवीएम की जांच की मांग कर सकते हैं, जिसमें मशीन की बर्न्ट मेमोरी या माइक्रोकंट्रोलर की जांच होती है। जांच के दौरान, एक मॉक पोल आयोजित किया जाता है जिसमें प्रत्येक मशीन पर 1400 तक वोट डाले जा सकते हैं। अगर EVM और VVPAT स्लिप्स के नतीजे मेल खाते हैं, तो मशीन को सत्यापित माना जाता है।

SOP में क्या बदलाव किए गए?

ECI ने SOP में कई अहम बदलाव किए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • अब उम्मीदवार सिर्फ स्वयं-निदान परीक्षण (self-diagnostic test) के लिए ₹23,600 खर्च कर सकते हैं। मॉक पोल की स्थिति में यह राशि ₹47,200 होगी।
  • उम्मीदवारों को अब यह विकल्प दिया गया है कि वे VVPAT में पहले से लोड किए गए प्रत्याशियों के प्रतीकों का ही प्रयोग करें या SLU (Symbol Loading Unit) से प्रतीक पुनः लोड करें।
  • रिकॉर्ड संग्रहण की अवधि बढ़ाकर अब तीन महीने कर दी गई है। इसमें वीडियो फुटेज, VVPAT स्लिप्स और अन्य रिकॉर्ड शामिल होंगे।
  • अब SOP के तहत EVM डेटा को जांच के दौरान हटाया नहीं जाएगा, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 2025 के आदेश में निर्देशित किया गया था।

SLU पर क्यों हुआ विवाद?

SLU वह उपकरण होता है जिससे प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह VVPAT में लोड किए जाते हैं। चुनाव पारदर्शिता के लिए कार्यरत संगठनों का मानना है कि यहीं सबसे ज्यादा छेड़छाड़ की संभावना होती है। इसलिए अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि SLU से जुड़ा डेटा भी सुरक्षित रखा जाए और आवश्यकता होने पर मॉक पोल के लिए पुनः लोड किया जा सके।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • EVMs भारत में 2004 से सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अनिवार्य रूप से प्रयोग में लाई जा रही हैं।
  • VVPAT (Voter Verified Paper Audit Trail) पहली बार 2013 में नागालैंड विधानसभा उपचुनाव में प्रयोग हुआ था।
  • भारत में दो प्रमुख EVM निर्माता हैं: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL)।
  • सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में आदेश दिया था कि हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 5 VVPAT मशीनों की पर्चियों का मिलान EVM परिणामों से किया जाए।

इस संशोधित SOP के साथ, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए EVM जांच प्रक्रिया को थोड़ा और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया है। हालांकि, कई चुनाव सुधार संगठनों का मानना है कि केवल मशीनों को चालू करना और मॉक पोल कराना पर्याप्त नहीं है, जब तक कि व्यापक तकनीकी ऑडिट न हो। फिर भी, यह कदम चुनाव प्रक्रिया में विश्वास बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा सकता है।

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