चीनी युक्त पेयों पर बढ़ा जीएसटी: भारत की पोषण क्रांति का नया अध्याय

भारत सरकार द्वारा हाल ही में अत्यधिक प्रोसेस्ड और शर्करा युक्त पेयों (SSB) पर जीएसटी दरें बढ़ाना, न केवल एक कर नीति का हिस्सा है, बल्कि एक व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार की दिशा में निर्णायक कदम है। यह निर्णय दर्शाता है कि भारत अब पोषण और स्वास्थ्य को लेकर नीतिगत रूप से गंभीर हो रहा है, और एक सर्वसुलभ व संतुलित आहार व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।

चीनी की लत, विज्ञापन और बढ़ती बीमारी

आज के समय में SSB जैसे उत्पादों — जैसे कि सोडा, एनर्जी ड्रिंक, आइस्ड टी — को “ब्लिस पॉइंट” (bliss point) के आधार पर तैयार किया जाता है ताकि उपभोक्ता बार-बार इन्हें खरीदें। विज्ञापनों के माध्यम से विशेषकर बच्चों और किशोरों को लक्षित किया जाता है। BMJ (2019) और The Lancet (2023) के शोध बताते हैं कि अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन कैंसर, मोटापा, हृदय रोग और समय से पहले मृत्यु का बड़ा कारण बनता है।

बढ़ती उपभोग प्रवृत्ति और सामाजिक लागत

प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट बताती है कि 2022-23 में सभी आय वर्गों में पैक्ड प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों पर घरेलू खर्च लगातार बढ़ा है:

  • ग्रामीण क्षेत्रों के निचले 20% परिवारों में 3.2% से बढ़कर 5.5%
  • शहरी गरीबों में 3.7% से बढ़कर 6.4%
  • शहरी उच्च वर्ग में 6.1% से बढ़कर 8.2%

यह उपभोग प्रवृत्ति परिवारों की सेहत, अर्थव्यवस्था और देश की उत्पादकता पर दीर्घकालिक बोझ डाल रही है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • SSB पर जीएसटी दर 28% और 18% से बढ़ाकर 40% की गई है।
  • WHO के अनुसार, SSB की कीमत 20% बढ़ाने से खपत में समान अनुपात में गिरावट आती है।
  • 2024 के ICMR-NIN दिशा-निर्देशों के अनुसार, भारत की 56% बीमारी बोझ का कारण अस्वास्थ्यकर आहार है।
  • भारत में ‘शुगर बोर्ड्स’ अब सभी स्कूलों में अनिवार्य कर दिए गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *