चिली में जोस एंटोनियो कास्ट बने नए राष्ट्रपति: दक्षिणपंथ की ओर ऐतिहासिक झुकाव
चिली में राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों ने देश को उसके लोकतांत्रिक इतिहास में अब तक की सबसे दक्षिणपंथी सरकार की ओर मोड़ दिया है। जोस एंटोनियो कास्ट की जीत, जो रिपब्लिकन पार्टी के नेता हैं, एक ध्रुवीकृत चुनाव अभियान के बाद आई है जिसमें अपराध, प्रवास और आर्थिक मंदी प्रमुख मुद्दे रहे। यह परिवर्तन न केवल राजनीतिक विचारधारा में बदलाव को दर्शाता है, बल्कि चिली की जनता की असुरक्षा और असंतोष की भावना का भी प्रतिबिंब है।
चुनावी नतीजे और राजनीतिक पृष्ठभूमि
रनऑफ (दूसरे चरण) के चुनाव में कास्ट ने वामपंथी प्रतिद्वंद्वी जैनेट जैरा को हराकर राष्ट्रपति पद हासिल किया।
- पहले दौर में जैरा को बढ़त मिली थी, लेकिन समग्र रूप से दक्षिणपंथी मतदाताओं की एकजुटता ने कास्ट को निर्णायक बढ़त दिला दी।
- अनिवार्य मतदान की वापसी (लगभग एक दशक बाद) ने मतदान प्रतिशत को बढ़ाया, जिससे परिणाम और भी निर्णायक बन गए।
- 2010 के बाद से चिली में हर चुनाव में सत्ता वाम और दक्षिण के बीच बदलती रही है, और यह चुनाव भी उसी सिलसिले का हिस्सा रहा।
सुरक्षा और प्रवास: चुनाव के निर्णायक मुद्दे
जनता की सबसे बड़ी चिंता अपराध थी, जो चुनाव अभियान में केंद्र में रही।
- सर्वेक्षणों के अनुसार, सुरक्षा के मुद्दे ने स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक सुधार जैसे विषयों को काफी पीछे छोड़ दिया।
- कास्ट ने कठोर पुलिसिंग, सीमाओं की निगरानी बढ़ाने और अवैध प्रवासियों की सामूहिक निष्कासन की बात कही।
- संगठित अपराध और क्षेत्रीय गैंगों के बढ़ते प्रभाव के डर ने जनता को उनके पक्ष में कर दिया, हालांकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार डर की दर अपराध से तेज़ी से बढ़ी है।
विवाद और विचारधारा से जुड़ी चिंताएँ
कास्ट की विचारधारात्मक स्थिति विवादास्पद रही है:
- वे गर्भपात के हर प्रकार के विरोधी हैं, और उन्होंने अगस्तो पिनोचेट की सैन्य तानाशाही के कुछ पहलुओं के समर्थन में बयान दिए हैं।
- आलोचकों का कहना है कि उनकी नीतियाँ 1973-1990 के तानाशाही युग की पुनरावृत्ति का संकेत देती हैं, जब 3,000 से अधिक लोग मारे गए या लापता हुए।
- तानाशाही के बचे हुए लोगों ने उनके शासन में दमन के डर को व्यक्त किया है, जबकि कास्ट का कहना है कि वे लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान करेंगे और देश में व्यवस्था बहाल करेंगे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अगस्तो पिनोचेट ने 1973 से 1990 तक चिली पर सैन्य तानाशाही चलाई।
- उस तानाशाही के दौरान 3,000 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए।
- इस चुनाव में मतदान अनिवार्य किया गया, जो पहले एक दशक से स्वैच्छिक था।
- 2010 के बाद से हर चुनाव में चिली में वाम और दक्षिण के बीच सत्ता परिवर्तन होता रहा है।
निष्कर्ष
जोस एंटोनियो कास्ट ऐसे समय में सत्ता में आए हैं जब चिली आर्थिक अनिश्चितता, संस्थागत थकान और अधूरी संविधान सुधार की बहस से जूझ रहा है। उनकी सरकार को सख्त सुरक्षा उपायों और नागरिक स्वतंत्रताओं के बीच संतुलन बनाना होगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कास्ट लोकतंत्र की मर्यादाओं के भीतर रहकर देश को स्थिरता की ओर ले जा पाएंगे या उनके विचार और नीतियाँ देश को और अधिक ध्रुवीकृत करेंगी। चिली के लिए यह एक निर्णायक मोड़ है, जहां लोकतंत्र और सख्ती के बीच संतुलन बनाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।