चिकित्सा उपकरणों की पैकेजिंग पर नए नियम: उपभोक्ता हित और उद्योग सहूलियत का संतुलन
 
भारत सरकार ने 2025 में लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) संशोधन नियम अधिसूचित किए हैं, जो विशेष रूप से चिकित्सा उपकरणों की पैकेजिंग और लेबलिंग को लेकर बनाए गए हैं। इन संशोधित नियमों का उद्देश्य नियामकीय दोहराव को समाप्त करना और स्वास्थ्य क्षेत्र में उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ाना है। यह बदलाव मेडिकल डिवाइसेज रूल्स, 2017 के साथ समन्वय स्थापित करता है।
प्रमुख संशोधन और उनके प्रभाव
इस संशोधन के अनुसार, जब उत्पाद की पैकेजिंग में चिकित्सा उपकरण शामिल हों, तो घोषणाओं (Declarations) में प्रयुक्त अंकों और अक्षरों की ऊँचाई और चौड़ाई जैसे मानक अब सामान्य लीगल मेट्रोलॉजी मानकों के बजाय मेडिकल डिवाइसेज रूल्स, 2017 के अनुसार लागू होंगे।
- अनिवार्य घोषणाएं यथावत रहेंगी, परंतु उनका प्रस्तुतीकरण मेडिकल उपकरण नियमों के अनुरूप होगा।
- Rule 33 के तहत दी गई घोषणाओं से छूट अब चिकित्सा उपकरणों पर लागू नहीं होगी। यह छूट अब केवल गैर-चिकित्सा उत्पादों तक सीमित रहेगी।
- प्रिंसिपल डिस्प्ले पैनल (PDP) पर घोषणा की आवश्यकता नहीं रहेगी; अब लेबलिंग पूरी तरह से मेडिकल डिवाइसेज रूल्स के प्रावधानों के तहत होगी।
उपभोक्ताओं और निर्माताओं के लिए लाभ
यह संशोधन उपभोक्ताओं को सुस्पष्ट, सुसंगत और उत्पाद-विशिष्ट जानकारी उपलब्ध कराता है, जिससे भ्रम की स्थिति समाप्त होती है। वहीं, मेडिकल उपकरण निर्माताओं के लिए यह कॉम्प्लायंस प्रक्रिया को सरल बनाता है, क्योंकि अब उन्हें दोहराव वाले नियमों के पालन से मुक्ति मिलती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- Legal Metrology Rules, 2011 उपभोक्ताओं को आवश्यक जानकारी देने के लिए पैकेजिंग मानकों को विनियमित करता है।
- Rule 33 के अंतर्गत कुछ घोषणाओं से छूट प्रदान की जाती थी, जिसे अब चिकित्सा उपकरणों के लिए हटाया गया है।
- Medical Devices Rules, 2017 देश में चिकित्सा उपकरणों के निर्माण, लेबलिंग और वितरण को नियंत्रित करता है।
- यह संशोधन Ease of Doing Business और Ease of Living जैसे सरकारी लक्ष्यों को भी सशक्त बनाता है।
प्रवर्तन एजेंसियों को स्पष्टता
इस समन्वित प्रणाली से लीगल मेट्रोलॉजी अधिकारियों को स्पष्ट अधिकार-क्षेत्र मिलता है। इससे राज्यों और विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों में नियमों की व्याख्या और अनुपालन में समानता आएगी।
