चिकित्सा इतिहास में एक अनोखी खोज: बेंगलुरु में मिला नया रक्त समूह ‘CRIB’

चिकित्सा इतिहास में एक अनोखी खोज: बेंगलुरु में मिला नया रक्त समूह ‘CRIB’

भारतीय चिकित्सा जगत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। रोटरी बेंगलुरु टीटीके ब्लड सेंटर में एक 38 वर्षीय दक्षिण भारतीय महिला में एक ऐसा रक्त समूह पाया गया है, जिसे पहले दुनिया में कभी नहीं पहचाना गया था। यह नई खोज ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर मानी जा रही है।

नया रक्त समूह: ‘CRIB’

यह नया रक्त समूह ‘Cromer’ (CR) रक्त समूह प्रणाली का हिस्सा है और इसे ‘CRIB’ नाम दिया गया है — जिसमें ‘CR’ Cromer के लिए और ‘IB’ India Bengaluru के लिए है। इस नामकरण को अंतरराष्ट्रीय रक्त स्थानांतरण सोसायटी (ISBT) द्वारा जून 2025 में इटली के मिलान में आयोजित 35वें क्षेत्रीय सम्मेलन में औपचारिक मान्यता दी गई।

मामला कैसे सामने आया?

फरवरी 2024 में कर्नाटक के कोलार स्थित आर.एल. जलप्पा अस्पताल में एक महिला हृदय शल्य चिकित्सा के लिए भर्ती हुई थीं। उनका सामान्य रक्त समूह O पॉजिटिव था, लेकिन अस्पताल के रक्त बैंक में उनके लिए कोई संगत रक्त इकाई उपलब्ध नहीं थी। जाँच में पता चला कि उनका रक्त सभी नमूनों के साथ ‘पैनरिएक्टिव’ था — यानी सभी के साथ असंगत।
रोटरी बेंगलुरु टीटीके ब्लड सेंटर के उन्नत इम्यूनोहेमैटोलॉजी लैब में भेजे गए रक्त नमूनों पर गहन परीक्षण हुआ। बाद में, ब्रिटेन के ब्रिस्टल स्थित इंटरनेशनल ब्लड ग्रुप रेफरेंस लैब (IBGRL) में 10 महीने की शोध के बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह रक्त समूह पूरी दुनिया में अब तक अज्ञात था।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • CRIB रक्त समूह Cromer प्रणाली का हिस्सा है, और पहली बार एक भारतीय महिला में पाया गया।
  • ISBT के अनुसार, यह नया एंटीजन एक “High Frequency Antigen” की अनुपस्थिति के कारण उत्पन्न हुआ है।
  • रोटरी बेंगलुरु टीटीके ब्लड सेंटर ने अभी तक 2108 नियमित दाताओं का परीक्षण कर 21 दुर्लभ रक्त समूह की पहचान की है।
  • भारत सरकार अब ‘e-Rakt Kosh’ के साथ दुर्लभ रक्त समूह रजिस्ट्री को जोड़ने की योजना बना रही है।

क्यों है यह खोज महत्वपूर्ण?

दुर्लभ रक्त समूह वाले मरीजों को सामान्य रक्त स्थानांतरण में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनके शरीर में विशिष्ट एंटीजन नहीं होते। यदि ऐसे मरीज को सामान्य रक्त चढ़ा दिया जाए, तो उसकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली एंटीबॉडी बनाकर प्रतिक्रिया कर सकती है। CRIB समूह वाले व्यक्ति को भविष्य में ऑटोलॉगस ट्रांसफ्यूजन (स्वयं का रक्त संग्रह) की आवश्यकता हो सकती है।

राष्ट्रीय रजिस्ट्री और भविष्य की दिशा

रोटरी बेंगलुरु टीटीके ब्लड सेंटर ने जनवरी 2024 में दुर्लभ रक्तदाता रजिस्ट्री की शुरुआत की थी, जिससे ऐसे विशेष मामलों में तत्काल संगत रक्त उपलब्ध हो सके। निदेशक लता जगन्नाथन के अनुसार, इस प्रयास में हर वर्ष ₹50 लाख का खर्च आता है और इसके लिए कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) से सहयोग की अपेक्षा है।
यह खोज न केवल चिकित्सा विज्ञान में भारत की अग्रणी भूमिका को रेखांकित करती है, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि भारत अब दुर्लभ चिकित्सा खोजों में भी अग्रसर है। यह रजिस्ट्री प्रणाली भविष्य में हजारों जिंदगियों को बचाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

Originally written on August 1, 2025 and last modified on August 1, 2025.

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