चारोन की खोज: प्लूटो के सबसे बड़े उपग्रह की रोचक कहानी

1978 की गर्मियों में, जब अमेरिका के खगोलशास्त्री जेम्स क्रिस्टी अपना घर बदलने की योजना बना रहे थे, उन्हें अपने बॉस से प्लूटो की कुछ ‘खराब’ तस्वीरें मिलीं। तब किसी को अंदाज़ा नहीं था कि ये धुंधली तस्वीरें हमारे सौरमंडल की एक बड़ी खोज का आधार बनेंगी — प्लूटो के चंद्रमा “चारोन” की खोज।
धुंधली तस्वीरों से खोज तक
क्रिस्टी और उनके सहयोगी रॉबर्ट हैरिंगटन प्लूटो की कक्षा को बेहतर समझने के लिए 6 तस्वीरों का विश्लेषण कर रहे थे, जो अप्रैल और मई 1978 के बीच ली गई थीं। इन तस्वीरों में प्लूटो का आकार असामान्य रूप से खिंचा हुआ लग रहा था, जिसे पहले ‘विकृति’ माना गया। लेकिन बार-बार इसी तरह की आकृति देखने के बाद क्रिस्टी को शक हुआ कि यह कोई खगोलीय विसंगति नहीं, बल्कि कोई ‘साथी’ पिंड हो सकता है।
अंततः उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि प्लूटो के पास एक उपग्रह है, जिसकी कक्षा 6.4 पृथ्वी दिनों की है — वही समय जिसमें प्लूटो स्वयं घूमता है। इसने संकेत दिया कि प्लूटो और उसका साथी एक साथ गुरुत्वाकर्षण रूप से जुड़ी हुई प्रणाली हैं।
नामकरण की दिलचस्प कहानी
क्रिस्टी ने इस उपग्रह का नाम अपनी पत्नी चारलीन के उपनाम “चार” के आधार पर “चारोन” रखा। यह नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं के नाविक से भी मेल खाता है जो मृत आत्माओं को हैडेस (प्लूटो) के पास ले जाता है। इस प्रकार यह नाम खगोलशास्त्रीय रूप से भी उपयुक्त था और व्यक्तिगत रूप से भी।
खगोलीय पुष्टि और मापन
1980 के दशक में प्लूटो और चारोन के बीच परस्पर ग्रहण और ग्रहणीय छायाएं (eclipses and occultations) देखी गईं, जिससे चारोन के अस्तित्व की पुष्टि हुई। इसने वैज्ञानिकों को न केवल चारोन का व्यास (लगभग 1,200 किमी) मापने में मदद की, बल्कि प्लूटो की आकार और द्रव्यमान का बेहतर अनुमान लगाने में भी सहायता की।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- चारोन की खोज 7 जुलाई 1978 को आधिकारिक रूप से घोषित हुई थी।
- यह प्लूटो से लगभग 19,640 किमी की दूरी पर स्थित है और उसका व्यास 1,214 किमी है।
- प्लूटो और चारोन एक-दूसरे के समान सतहों की ओर हमेशा मुंह किए रहते हैं — इस घटना को “mutual tidal locking” कहा जाता है।
- चारोन का रंग प्लूटो जितना विविध नहीं है, लेकिन इसके उत्तरी ध्रुव पर एक रहस्यमयी लाल रंग देखा गया है।
नासा का न्यू होराइजन्स मिशन, जो 2006 में लॉन्च हुआ और 2015 में प्लूटो और चारोन के पास पहुँचा, ने इन दोनों खगोलीय पिंडों की विस्तृत तस्वीरें और आंकड़े प्रदान किए। आज चारोन को केवल एक उपग्रह नहीं, बल्कि एक ‘सह-बौना ग्रह’ (double dwarf planet) माना जाता है। इस खोज ने न केवल विज्ञान के क्षेत्र में एक नई दिशा दी, बल्कि जेम्स क्रिस्टी के लिए यह व्यक्तिगत रूप से भी खास थी — जैसा कि उनकी पत्नी चारलीन ने कहा, “बहुत से पति अपनी पत्नियों से चाँद का वादा करते हैं, लेकिन जिम ने सचमुच चाँद तोहफे में दिया।”