चारधाम में हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएँ: नीतिगत खामियों और प्राकृतिक जोखिमों का खतरनाक संगम

हाल ही में उत्तराखंड के गंगोत्री क्षेत्र में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में छह लोगों की मौत ने चारधाम यात्रा के दौरान हेलिकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह कोई पहली घटना नहीं है—बीते वर्षों में कई दुर्घटनाएं हुई हैं, जो एक व्यापक नीतिगत और संरचनात्मक संकट की ओर इशारा करती हैं।
क्यों जोखिम भरी है चारधाम में हेलिकॉप्टर यात्रा?
उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति अत्यंत दुर्गम है—ऊँचे पहाड़, संकरे घाटियाँ और मौसम का तीव्र परिवर्तन उड़ानों को स्वाभाविक रूप से चुनौतीपूर्ण बनाता है। इन खतरों के बावजूद, यात्रियों की भारी मांग, सीमित उड़ान मौसम (मात्र चार महीने), और लाभ बढ़ाने के दबाव के चलते ऑपरेटरों पर अधिकतम उड़ानें भरने का दबाव होता है।
वर्तमान नीति के अनुसार, एक पायलट एक दिन में 50 लैंडिंग कर सकता है और हर लैंडिंग पर ₹5000 का रॉयल्टी शुल्क देना होता है। इससे एक ‘सॉर्टी रेस’ की स्थिति बन जाती है, जिसमें पायलट मौसम की परवाह किए बिना उड़ान भरने को मजबूर होते हैं।
नियामक ढांचा और उसमें खामियाँ
हालांकि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) भारत की वायुसेवा का केंद्रीय नियामक है, परंतु उत्तराखंड में हेलिकॉप्टर संचालन की निगरानी उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) करता है। लेकिन केदारनाथ जैसे उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में कोई एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) व्यवस्था नहीं है। पायलट केवल VHF रेडियो पर निर्भर हैं, जो पहाड़ों में अवरुद्ध हो सकता है।
इसके अलावा, मौसम संबंधी कोई विशेष केंद्र या प्रशिक्षित विशेषज्ञ भी इन घाटियों में नहीं हैं। ऐसे में तेज़ी से बदलते मौसम की सटीक जानकारी न होना दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह है।
पायलट और सुरक्षा मानदंड
केदारनाथ घाटी में एक समय में अधिकतम चार हेलिकॉप्टरों की उड़ान की अनुमति है। पायलटों को विशेष प्रशिक्षण, भू-स्थान की जानकारी और मौसम की समझ अनिवार्य है। फिर भी, हालिया घटनाएं दिखाती हैं कि इन नियमों का पालन हर समय नहीं होता, या फिर नियमों के बावजूद संरचनात्मक कमियाँ बनी हुई हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- उत्तराखंड में 20 से अधिक हेलिकॉप्टर ऑपरेटर सक्रिय हैं।
- UCADA के अनुसार हर ऑपरेटर को आपातकालीन स्थितियों में 10 घंटे की नि:शुल्क उड़ान देनी होती है।
- एक दिन में एक पायलट को 50 लैंडिंग तक की अनुमति है।
- 2019 से अब तक 5 बड़ी हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएँ चारधाम यात्रा में हो चुकी हैं।
चारधाम की हेलिकॉप्टर सेवाएं उन बुजुर्ग या शारीरिक रूप से अक्षम यात्रियों के लिए वरदान मानी जाती हैं, जो लंबी और कठिन पैदल यात्रा नहीं कर सकते। लेकिन बिना सुरक्षा और पारदर्शी नियंत्रण के ये सेवाएं जानलेवा साबित हो रही हैं। अब समय है कि सरकार और प्राधिकरण मिलकर मौसम और सुरक्षा आधारित उड़ान नियंत्रण, उचित मार्गदर्शन प्रणाली और पारदर्शी व्यावसायिक मॉडल तैयार करें ताकि श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक शांति पा सकें, बल्कि सुरक्षित यात्रा भी सुनिश्चित हो सके।