चाबहार पोर्ट: भारत की रणनीतिक साहसिकता और बदलती वैश्विक व्यवस्था के बीच एक समुद्री मोर्चा

चाबहार पोर्ट: भारत की रणनीतिक साहसिकता और बदलती वैश्विक व्यवस्था के बीच एक समुद्री मोर्चा

2023 में ईरान के चाबहार पोर्ट की यात्रा मेरे लिए केवल एक पत्रकारिक जिम्मेदारी नहीं थी, बल्कि दक्षिण एशिया की सामरिक राजनीति का जीवंत अनुभव भी थी। यह यात्रा उस समय हुई जब अमेरिका द्वारा भारत को दी गई प्रतिबंध छूट वापस लेने की घोषणा हुई — एक ऐसा मोड़ जो न केवल भारत के $120 मिलियन निवेश को खतरे में डालता है, बल्कि चाबहार पोर्ट को वैश्विक शक्ति संघर्ष के केंद्र में भी ला देता है।

अमेरिकी प्रतिबंध और भारत की सामरिक अनिश्चितता

2018 में अमेरिका ने भारत को एक विशेष छूट प्रदान की थी, जिससे इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) शहीद बेहश्ती टर्मिनल का संचालन कर सकती थी। अब यह छूट 29 सितंबर, 2025 से समाप्त हो रही है, जिससे भारतीय कंपनियों को द्वितीयक अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा है। यह फैसला भारत की मध्य एशिया तक पहुंच और ईरान के साथ संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

चाबहार का भौगोलिक एकांत और रणनीतिक महत्व

चाबहार एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही जो दृश्य सामने आया वह एक ‘अपरिचित भारत’ की स्मृति जैसा था — सादा, शांत, और रणनीतिक रूप से मौन। रास्ते में फैली वीरान भूमि, बिना इमारतों के विस्तृत इलाके, और बिना किसी शहरी चहल-पहल के यह संकेत दे रहे थे कि यह क्षेत्र अब भी अपने भविष्य की प्रतीक्षा कर रहा है। चाबहार फ्री ज़ोन अथॉरिटी की महत्वाकांक्षा स्पष्ट है — वे इसे एक “नया दुबई” बनाना चाहते हैं, जिसमें भारत की भागीदारी निर्णायक होगी।

बंदरगाह पर भारत की सक्रिय भूमिका

शहीद बेहश्ती टर्मिनल पर भारत की उपस्थिति स्पष्ट और गतिशील है। भारी मशीनरी, क्रेनों पर भारतीय चिह्न और चल रहे कार्गो संचालन से यह साफ जाहिर होता है कि भारत इस पोर्ट को केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक निवेश के रूप में देखता है। वरिष्ठ अधिकारी सआ हाशेमी ने जानकारी दी कि यह पोर्ट 120,000 DWT तक के जहाजों को संभाल सकता है और पूरी क्षमता से कार्य के लिए तैयार है।

चाबहार का सांस्कृतिक दृष्टिकोण और क्रिकेट कनेक्शन

चाबहार फ्री ज़ोन के अधिकारियों ने BCCI के साथ मिलकर एक क्रिकेट स्टेडियम बनाने की इच्छा जताई है। यह पहल भारत और ईरान के बीच सांस्कृतिक संबंधों को गहरा कर सकती है और चाबहार को वैश्विक पहचान दिला सकती है। यह संकेत है कि बंदरगाह केवल व्यापार का केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुल भी बनना चाहता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • चाबहार पोर्ट: भारत द्वारा विकसित ईरान का रणनीतिक बंदरगाह, जो पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के समीप स्थित है।
  • ग्वादर पोर्ट: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का हिस्सा, चाबहार से मात्र 170 किमी दूर।
  • INSTC: इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, जो भारत, ईरान, रूस और मध्य एशिया को जोड़ता है।
  • IFCA: ईरान फ्रीडम एंड काउंटर-प्रोलिफरेशन एक्ट, जिसके तहत अमेरिका ने भारत को दी गई छूट अब हटा ली है।
Originally written on September 22, 2025 and last modified on September 22, 2025.

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