चक्रवात ‘मोंथा’ की चेतावनी: तमिलनाडु में भारी वर्षा की संभावना
बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवातीय दबाव अब धीरे-धीरे तीव्र होता जा रहा है और मौसम विभाग के अनुसार यह सोमवार सुबह तक एक पूर्ण चक्रवात का रूप ले सकता है। ‘साइक्लोन मोंथा’ नामक इस संभावित चक्रवात की वजह से विशेष रूप से उत्तर तमिलनाडु में भारी वर्षा की आशंका जताई गई है। क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (RMC) के अनुसार यह प्रणाली शनिवार तक दक्षिण-पूर्व और उससे सटे मध्य बंगाल की खाड़ी में एक दबाव क्षेत्र के रूप में विकसित होगी, जो रविवार तक एक गहरे दबाव में बदल जाएगी।
चक्रवात मोंथा, जिसका नाम थाईलैंड ने प्रस्तावित किया है, सोमवार को दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी में चक्रवातीय तूफान का रूप ले सकता है। इस कारण तमिलनाडु के कई जिलों में लगातार वर्षा होने की संभावना है।
किन जिलों में होगी भारी वर्षा?
शनिवार को कड्डलोर, विल्लुपुरम और चेंगलपट्टू जिलों में भारी वर्षा हो सकती है। वहीं रविवार को चेन्नई सहित उसके आसपास के छह उत्तरी जिलों — जैसे रानीपेट और विल्लुपुरम — में तीव्र वर्षा की संभावना है। यह वर्षा प्रणाली उत्तर-पूर्व मानसून को और अधिक सक्रिय बनाएगी, जिससे राज्य के कई हिस्सों में महीने के अंत तक गीला मौसम बना रह सकता है।
उत्तर-पूर्व मानसून की स्थिति
RMC की प्रमुख बी. अमुधा के अनुसार, उत्तर-पूर्व मानसून पहले से ही तमिलनाडु के कई जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा ला चुका है। अब तक 1 अक्टूबर से लेकर वर्तमान तक राज्य में औसतन 22 सेंटीमीटर वर्षा हो चुकी है, जो कि मौसमी औसत 44 सेंटीमीटर का आधा है।
अभी चक्रवात की सटीक दिशा और स्थल-आघात (landfall) को लेकर स्पष्टता नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे प्रणाली और अधिक स्पष्ट होती जाएगी, अगले दो दिनों में इसकी पूरी जानकारी सामने आ सकती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘मोंथा’ नाम थाईलैंड द्वारा उत्तर हिंद महासागर के लिए प्रस्तावित किया गया है।
- बंगाल की खाड़ी में विकसित होने वाले चक्रवात अकसर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश को प्रभावित करते हैं।
- उत्तर-पूर्व मानसून तमिलनाडु के लिए मुख्य वर्षा ऋतु होता है, जो अक्टूबर से दिसंबर तक सक्रिय रहता है।
- एक सामान्य उत्तर-पूर्व मानसून में तमिलनाडु में औसतन 44 से 50 सेंटीमीटर वर्षा होती है।
तमिलनाडु सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग को संभावित चक्रवात ‘मोंथा’ से पहले ही तैयारी करनी होगी। नागरिकों को भी सतर्क रहना चाहिए और मौसम विभाग की ताज़ा चेतावनियों पर नज़र बनाए रखनी चाहिए।