चंद्रयान-3 की खोज: चंद्र दक्षिणी ध्रुव के ऊपर विद्युत सक्रिय प्लाज़्मा की चौंकाने वाली जानकारी

चंद्रयान-3 की खोज: चंद्र दक्षिणी ध्रुव के ऊपर विद्युत सक्रिय प्लाज़्मा की चौंकाने वाली जानकारी

भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित सतह के ऊपर के क्षेत्र में एक अत्यंत रोचक और वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण खोज की है। विक्रम लैंडर द्वारा लिए गए प्रत्यक्ष मापों से यह स्पष्ट हुआ है कि चंद्र सतह के पास मौजूद प्लाज़्मा पहले के अनुमानों की तुलना में कहीं अधिक घना और ऊर्जावान है। यह खोज चंद्रमा के आयनमंडल (ionosphere) को समझने की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ती है।

प्लाज़्मा का निर्माण और सौर प्रभाव

चंद्रमा के पास का प्लाज़्मा वातावरण सूर्य से आने वाले सौर वायुप्रवाह (solar wind), सूर्यप्रकाश द्वारा होने वाले फोटोइलेक्ट्रिक चार्जिंग और पृथ्वी के चुंबकीय पुच्छ (magnetotail) में प्रवेश के कारण बनता है। यह वातावरण बहुत पतला होने के बावजूद अत्यंत गतिशील होता है। यद्यपि यह प्लाज़्मा समग्र रूप से विद्युत रूप से तटस्थ होता है, यह विद्युत-चुंबकीय बलों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है, जिससे यह सामान्य गैसों से भिन्न हो जाता है।

RAMBHA-LP उपकरण की मुख्य खोजें

विक्रम लैंडर पर स्थित Langmuir Probe (RAMBHA-LP) ने शिवशक्ति बिंदु पर 380 से 600 इलेक्ट्रॉन प्रति घन सेंटीमीटर की घनता दर्ज की—जो पूर्व में रेडियो-अवरोधन (radio-occultation) अध्ययनों से मिली अनुमानों से काफी अधिक है। इलेक्ट्रॉनों का तापमान 3,000 से 8,000 केल्विन के बीच पाया गया, जो यह दर्शाता है कि चंद्र दक्षिणी अक्षांशों में सतह के निकट का प्लाज़्मा अत्यधिक ऊर्जा से भरपूर है।

चंद्र कक्षा और प्लाज़्मा में परिवर्तन

जैसे-जैसे चंद्रमा सूर्य के प्रकाश में आता है या पृथ्वी की चुंबकीय पुच्छ में प्रवेश करता है, प्लाज़्मा की घनता और ऊर्जा में बदलाव होता है। दिन के समय, सौर वायुप्रवाह प्रभावी होता है, जबकि चुंबकीय पुच्छ में पृथ्वी से आने वाले कण प्लाज़्मा की रचना और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। इन अध्ययनों में यह भी संकेत मिला है कि प्लाज़्मा में कार्बन डाइऑक्साइड और जल वाष्प से बने आणविक आयनों का भी योगदान है, जिससे चंद्र आयनमंडल की रसायनशास्त्र को समझने में नई दिशा मिलती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • चंद्रयान-3 ने दक्षिणी ध्रुव पर सतह के पास प्लाज़्मा के प्रत्यक्ष माप प्रदान किए।
  • इलेक्ट्रॉन घनता: 380–600 कण/घन सेंटीमीटर; तापमान: 3,000–8,000 केल्विन
  • प्लाज़्मा में बदलाव सूर्य के प्रकाश और पृथ्वी के चुंबकीय पुच्छ में आने पर निर्भर करता है।
  • RAMBHA-LP उपकरण का विकास स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरी, VSSC द्वारा किया गया।

भविष्य के चंद्र अभियानों के लिए महत्व

ये मापन भविष्य में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर काम करने वाले मिशनों के लिए आधारभूत डेटा प्रदान करते हैं। इस क्षेत्र के प्लाज़्मा की स्थिति संचार प्रणालियों, सतही उपकरणों की चार्जिंग और वैज्ञानिक उपकरणों के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है। चंद्रयान-3 की यह खोज न केवल भारत की चंद्र वैज्ञानिक समझ को सशक्त करती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर चंद्रमा के विद्युत रूप से सक्रिय वातावरण को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

Originally written on December 12, 2025 and last modified on December 12, 2025.

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