घड़ियाल ‘Critically Depleted’ घोषित: IUCN ग्रीन स्टेटस रिपोर्ट से संरक्षण पर फिर उठा सवाल

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने अपनी पहली ‘ग्रीन स्टेटस’ रिपोर्ट में भारत के प्रतिष्ठित जलचरी जीव घड़ियाल (Gavialis gangeticus) को “Critically Depleted” यानी “गंभीर रूप से क्षीण” घोषित किया है। यह रिपोर्ट इस बात की स्पष्ट चेतावनी देती है कि यदि दक्षिण एशिया, विशेषकर भारत में बांध-रहित नदियों को पुनर्स्थापित नहीं किया गया और जंगली प्रजनन को समर्थन नहीं मिला, तो यह प्राचीन प्रजाति विलुप्ति की ओर अग्रसर हो सकती है।
चंबल नदी: घड़ियालों की आखिरी प्राकृतिक शरणस्थली
500 किमी लंबी चंबल नदी, जो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान से होकर बहती है, घड़ियालों की एकमात्र मजबूत बस्ती बनकर उभरी है। यहां लगभग 80% व्यस्क घड़ियाल पाए जाते हैं। बाकी भारत और नेपाल में केवल छोटे और बिखरे हुए समूह बचे हैं।
संरक्षण प्रयासों के बावजूद संकट बना हुआ है
हालांकि 1980 के दशक से कैप्टिव ब्रीडिंग और रेस्टॉकिंग कार्यक्रमों ने संख्या बढ़ाने में मदद की, लेकिन WWF इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार महज 0.5% युवा घड़ियाल ही व्यस्क अवस्था तक पहुंचते हैं। इसका अर्थ है कि घोंसला स्थलों की सुरक्षा अब भी अत्यधिक आवश्यक है।
खतरे के प्रमुख कारण
- रेत खनन और बांध निर्माण से प्रजनन स्थलों का नाश
- अवैध शिकार और अंडों की तस्करी
- मत्स्य जाल, नहरें और माइग्रेशन मार्गों में अवरोध
- प्राकृतिक प्रवाह वाली नदियों की कमी
संरक्षण की कानूनी स्थिति और सफल उदाहरण
- भारत में घड़ियाल वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत सबसे अधिक सुरक्षा प्राप्त जीवों में शामिल है।
- 1979 में स्थापित चंबल अभयारण्य, एकमात्र ऐसा स्थान है जहां अभी भी प्राकृतिक प्रजनन हो रहा है।
- नेपाल की राप्ती नदी में सामुदायिक भागीदारी आधारित घोंसला संरक्षण कार्यक्रम ने प्रजनन दर में सुधार लाया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- IUCN की ग्रीन स्टेटस विलुप्ति के खतरे के बजाय प्राकृतिक पारिस्थितिकी बहाली की दिशा में प्रगति को मापती है।
- घड़ियालों की कुल अनुमानित व्यस्क संख्या केवल 681 है।
- यह प्रजाति पहले गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, सिंधु और इरावदी नदियों में पाई जाती थी।
- 1940 के दशक में इनकी संख्या 5,000–10,000 के बीच आंकी गई थी।