ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2025 में भारत की स्थिति में सुधार

ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2025 में भारत की स्थिति में सुधार

जर्मनवॉच (Germanwatch) द्वारा जारी ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (CRI) 2025 में भारत की स्थिति में सुधार दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब दीर्घकालिक सूचकांक (1995–2024) में 9वें स्थान पर और वार्षिक सूचकांक 2024 में 15वें स्थान पर है। यह पिछले वर्ष की तुलना में सुधार दर्शाता है, जब भारत क्रमशः 8वें और 10वें स्थान पर था। यह प्रगति देश की बढ़ती जलवायु सहनशीलता (Climate Resilience) और आपदा प्रबंधन क्षमताओं को रेखांकित करती है।

भारत का प्रदर्शन और प्रमुख निष्कर्ष

CRI 2025 रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन दशकों में भारत ने 430 चरम मौसमी घटनाओं के कारण 80,000 से अधिक लोगों की जान गंवाई और लगभग 170 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान झेला। यह निष्कर्ष ब्राजील के बेलेम शहर में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP30) में प्रस्तुत किया गया। रिपोर्ट बताती है कि भारत की बेहतर रैंकिंग का अर्थ है जोखिम में कमी, जो आपदा पूर्व चेतावनी प्रणालियों, जलवायु अनुकूलन नीतियों और प्रभावी पुनर्वास प्रयासों में सुधार का परिणाम है।

वैश्विक स्तर पर चरम मौसम की तबाही

1995 से 2024 के बीच विश्वभर में 9,700 से अधिक चरम मौसम की घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनसे 8.32 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई और 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। दीर्घकालिक सूचकांक में डोमिनिका, म्यांमार और होंडुरस सबसे अधिक प्रभावित देश रहे, जबकि सेंट विंसेंट एंड द ग्रेनाडाइंस, ग्रेनेडा और चाड वर्ष 2024 के लिए शीर्ष पर रहे। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि दुनिया की लगभग 40% आबादी (3 अरब से अधिक लोग) उन 11 देशों में रहती है जो जलवायु आपदाओं से सर्वाधिक प्रभावित हैं, जिनमें भारत और चीन शामिल हैं।

भारत की जलवायु चुनौतियाँ और सरकारी पहल

रिपोर्ट में भारत के प्रमुख जलवायु आपदाओं का उल्लेख किया गया है उत्तराखंड बाढ़ (2013), चक्रवात हुदहुद (2014), अम्फान (2020), और 1998, 2002, 2003, 2015 की भीषण लू। इसके बावजूद, भारत की स्थिति में सुधार यह दर्शाता है कि देश ने आपदा जोखिम प्रबंधन और पुनर्निर्माण प्रक्रियाओं को सशक्त किया है।सरकार की प्रमुख पहलें जैसे

  • राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC)
  • आपदा सहनशील अवसंरचना गठबंधन (CDRI)ने जलवायु प्रभावों से निपटने की भारत की क्षमता को मज़बूत किया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत की रैंकिंग: दीर्घकालिक सूचकांक (1995–2024) में 9वां स्थान, वार्षिक 2024 में 15वां स्थान।
  • रिपोर्ट जारी करने वाली संस्था: जर्मनवॉच (Germanwatch)।
  • प्रस्तुति स्थल: संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP30), बेलेम, ब्राजील।
  • भारत में 430 चरम घटनाओं से 80,000 से अधिक मौतें और 170 अरब डॉलर का नुकसान।
  • सबसे प्रभावित देश (दीर्घकालिक): डोमिनिका, म्यांमार, होंडुरस।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य और आगे की राह

रिपोर्ट यह रेखांकित करती है कि विकासशील देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सबसे अधिक भार उठा रहे हैं, जबकि अमेरिका, फ्रांस और इटली जैसे विकसित देश भी शीर्ष 30 प्रभावित देशों में शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत, हैती और फिलीपींस जैसे देशों को बार-बार आने वाले जलवायु झटके पुनर्प्राप्ति में बाधा डालते हैं।
भारत की बेहतर रैंकिंग इस बात का प्रमाण है कि देश जलवायु जोखिमों से निपटने में अधिक सक्षम हो रहा है। हालांकि, रिपोर्ट यह भी आगाह करती है कि निरंतर निवेश, हरित अवसंरचना निर्माण और स्थानीय समुदायों की सुरक्षा के लिए और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

Originally written on November 12, 2025 and last modified on November 12, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *