ग्लियोब्लास्टोमा: लेखिका सोफी किंसेला की मृत्यु ने उजागर की ब्रेन कैंसर की सबसे घातक स्थिति
बेस्टसेलिंग लेखिका सोफी किंसेला का 55 वर्ष की आयु में निधन ग्लियोब्लास्टोमा नामक आक्रामक मस्तिष्क कैंसर के कारण हुआ। 2022 में इस बीमारी का निदान होने के बाद वे कुछ वर्षों तक जीवित रहीं, जिससे इस गंभीर बीमारी की तीव्रता और उपचार की सीमाओं पर सार्वजनिक ध्यान केंद्रित हुआ है। यह बीमारी ब्रेन ट्यूमर के सबसे घातक और तेजी से बढ़ने वाले प्रकारों में से एक मानी जाती है।
ग्लियोब्लास्टोमा की प्रकृति और उत्पत्ति
ग्लियोब्लास्टोमा, जिसे ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफोर्मे भी कहा जाता है, एक तेजी से बढ़ने वाला घातक ट्यूमर है जो एस्ट्रोसाइट्स नामक सहायक ग्लियल कोशिकाओं से उत्पन्न होता है। ये कोशिकाएं मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में पाई जाती हैं और जब इनका नियंत्रण खत्म हो जाता है, तो यह ट्यूमर आस-पास के स्वस्थ मस्तिष्क ऊतकों में भी फैलने लगता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ग्रेड IV ग्लियोमा के रूप में वर्गीकृत किया है, जो इसकी गंभीरता को दर्शाता है।
प्रसार और जीवन प्रत्याशा
- ग्लियोब्लास्टोमा दुनिया भर के लगभग 50% घातक ब्रेन ट्यूमर के मामलों में पाया जाता है।
- हर साल वैश्विक स्तर पर लगभग 2 लाख मौतें इसी बीमारी के कारण होती हैं।
- अमेरिका में सालाना 13,000 से अधिक नए मामले, और यूके में लगभग 3,200 मरीज सामने आते हैं।
- अधिकतर मामलों में 45 से 75 वर्ष की उम्र के बीच के लोगों में यह ट्यूमर पाया जाता है।
- पांच वर्षों से अधिक समय तक जीवित रहने वालों की संख्या बहुत ही कम होती है।
लक्षण, कारण और जोखिम कारक
ग्लियोब्लास्टोमा का असर जल्दी दिखाई देता है क्योंकि यह मस्तिष्क के महत्वपूर्ण हिस्सों पर दबाव डालता है। इसके आम लक्षणों में शामिल हैं:
- लगातार सिरदर्द
- मितली और उल्टी
- याददाश्त में गिरावट
- दौरे (सीज़र)
- धुंधली दृष्टि
- बोलने में कठिनाई
- व्यक्तित्व में परिवर्तन
इस बीमारी का सटीक कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक इसे डीएनए म्यूटेशन से जोड़ते हैं जो अनियंत्रित कोशिका वृद्धि को उत्प्रेरित करते हैं। अन्य जोखिम कारकों में शामिल हैं:
- पूर्व में विकिरण (रेडिएशन) के संपर्क में आना
- कीटनाशकों और सिंथेटिक रबर जैसे रसायनों के संपर्क में आना
- कुछ दुर्लभ अनुवांशिक स्थितियाँ जैसे Li-Fraumeni और Turcot सिंड्रोम
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ग्लियोब्लास्टोमा को WHO द्वारा ग्रेड IV ग्लियोमा के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- यह बीमारी हर वर्ष वैश्विक स्तर पर लगभग 200,000 मौतों का कारण बनती है।
- अधिकतर मरीजों की उम्र 45 से 75 वर्ष के बीच होती है।
- इसकी पूरी तरह से सर्जिकल निकासी संभव नहीं है क्योंकि यह ट्यूमर मस्तिष्क के भीतर गहराई तक फैल जाता है।
उपचार की सीमाएँ और वर्तमान विकल्प
ग्लियोब्लास्टोमा का अब तक कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं है। इसके उपचार का उद्देश्य केवल विकास को धीमा करना और लक्षणों को नियंत्रित करना होता है।
प्रमुख उपचार विधियाँ हैं:
- सर्जिकल डिबल्किंग (ट्यूमर का अधिकतम हटाना)
- रेडियोथेरेपी
- कीमोथेरेपी
- लेज़र-आधारित थर्मल थेरेपी
- टारगेटेड दवाएँ और इम्यूनोथेरेपी
हालांकि ये उपाय कुछ समय के लिए राहत दे सकते हैं, लेकिन ट्यूमर का फिर से उभरना सामान्य बात है क्योंकि यह आसपास के ऊतकों में गहराई से फैल जाता है। यही कारण है कि दीर्घकालिक जीवित रहने की संभावना अत्यंत कम रहती है।
सोफी किंसेला की मृत्यु ने ग्लियोब्लास्टोमा जैसी खतरनाक बीमारी की भयावहता को रेखांकित किया है, जिससे स्वास्थ्य जागरूकता और चिकित्सा अनुसंधान को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।