ग्रेट बैरियर रीफ में गोनियोपोरा कोरल की भारी मृत्यु: तापमान और दुर्लभ बीमारी का घातक संयोजन

ग्रेट बैरियर रीफ में गोनियोपोरा कोरल की भारी मृत्यु: तापमान और दुर्लभ बीमारी का घातक संयोजन

ऑस्ट्रेलिया के वन ट्री रीफ पर स्थित ग्रेट बैरियर रीफ में गोनियोपोरा कोरल की भारी मृत्यु ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। अत्यधिक समुद्री तापमान और दुर्लभ “ब्लैक बैंड” बीमारी के संयुक्त प्रभाव से तीन-चौथाई से अधिक कोरल कॉलोनियों का जीवन समाप्त हो गया, जो हाल के वर्षों में दर्ज सबसे गंभीर जलवायु-संबंधी घटनाओं में से एक मानी जा रही है।

तापीय तनाव के बाद बीमारी का आक्रमण

शोधकर्ताओं ने 112 कॉलोनियों में लंबे समय तक चले तापीय तनाव के कारण व्यापक ब्लीचिंग (रंगहीनता) देखी। तापमान से कमजोर पड़े कोरल जल्दी ही “ब्लैक बैंड डिजीज” की चपेट में आ गए — यह एक तीव्र जीवाणु संक्रमण है जो जीवित ऊतक को तेजी से नष्ट कर देता है। आश्चर्यजनक रूप से, गोनियोपोरा, जिसे सामान्यतः उच्च तापमान सहनशील माना जाता था, भी इस महामारी से नहीं बच पाया।

रिकॉर्ड तापमान और बीमारी की तेज़ी से फैलाव

2023 के अंत से 2025 की शुरुआत तक, समुद्री जल का तापमान लगातार 28°C से ऊपर 74 दिनों तक रहा, जबकि अधिकतम तापमान 34–35°C तक पहुंच गया। 2024 की शुरुआत में बीमारी फैलनी शुरू हुई और कुछ ही हफ्तों में 60% से अधिक ब्लीच किए गए कॉलोनियों को अपनी चपेट में ले लिया। 700 से अधिक कॉलोनियों के सर्वेक्षण में यह पैटर्न समान रूप से सामने आया — पहले ब्लीचिंग, फिर बीमारी और फिर जनसंख्या में भारी गिरावट।

यह प्रकोप क्यों असामान्य है?

“ब्लैक बैंड डिजीज” आमतौर पर नदी प्रदूषण या तटीय प्रदूषण से जुड़ी होती है, लेकिन वन ट्री रीफ एक ऑफशोर लोकेशन है जहाँ ऐसे प्रदूषण सीमित हैं। यद्यपि लैगून में कुछ पोषक तत्व पाए गए, लेकिन यह बीमारी के इतने तीव्र प्रसार की एकमात्र वजह नहीं हो सकती। विशेष बात यह रही कि यह संक्रमण केवल ब्लीच किए गए गोनियोपोरा कॉलोनियों को हुआ और उन कोरल प्रजातियों को नहीं छुआ जो उसी समय ब्लीच हुए थे — यह इस प्रजाति की विशेष संवेदनशीलता को दर्शाता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • वन ट्री रीफ पर गोनियोपोरा की लगभग 75% कॉलोनियाँ ब्लीचिंग और बीमारी के कारण समाप्त हो गईं।
  • “ब्लैक बैंड डिजीज” ने 60% से अधिक ब्लीच किए गए कोरल को कुछ ही हफ्तों में संक्रमित किया।
  • तापमान लगातार 74 दिनों तक 28°C से अधिक रहा; अधिकतम 34–35°C तक पहुँचा।
  • यह अध्ययन दिसंबर 2025 में “Proceedings of the Royal Society B” में प्रकाशित हुआ।

वैश्विक प्रवृत्ति और प्रवाल भित्तियों का भविष्य

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना दुनिया भर में जारी चौथे वैश्विक मास ब्लीचिंग इवेंट का हिस्सा है, जिससे 84% प्रवाल भित्तियाँ प्रभावित हुई हैं। बड़े, संरचनात्मक कोरल के पतन से जैव विविधता, मत्स्य संसाधन और तटीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। विशेषज्ञ चेताते हैं कि कोरल की सहनशक्ति तेजी से घट रही है और जब तक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तत्काल कमी नहीं लाई जाती, तब तक प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण असंभव होता जाएगा।

यह घटना न केवल कोरल के स्वास्थ्य के लिए चेतावनी है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के तीव्र और अप्रत्याशित प्रभावों का भी प्रमाण है, जो आने वाले समय में समुद्री पारिस्थितिकी पर गहरा असर डाल सकते हैं।

Originally written on December 12, 2025 and last modified on December 12, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *