ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना: रणनीतिक विकास और पर्यावरण संरक्षण का संतुलन

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना केवल एक बुनियादी ढांचा विकास योजना नहीं, बल्कि यह देश की रणनीतिक स्थिति, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और पर्यावरणीय संरक्षण के संतुलन का आदर्श उदाहरण बन रही है। यह परियोजना नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित है और इसे भारतीय समुद्री क्षेत्र में एक अंतरराष्ट्रीय हब के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
परियोजना के प्रमुख घटक
इस परियोजना में निम्नलिखित चार प्रमुख अवसंरचनात्मक विकास शामिल हैं:
- अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल (ICTT): क्षमता 14.2 मिलियन TEU
- ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
- 450 MVA गैस और सौर ऊर्जा आधारित विद्युत संयंत्र
- 16,610 हेक्टेयर में विकसित स्मार्ट टाउनशिप
जनजातीय समूहों और पर्यावरण पर प्रभाव
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह परियोजना न तो शोम्पेन और निकोबारी जनजातियों के जीवन में व्यवधान उत्पन्न करेगी, और न ही किसी संवेदनशील प्रजाति या पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करेगी। परियोजना से पहले विस्तृत पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) और पर्यावरण प्रबंधन योजना (EMP) बनाई गई है, जिसमें निर्माण और संचालन चरणों में प्रभाव को न्यूनतम करने के उपाय शामिल हैं।
जनजातीय हितों की सुरक्षा
- शोम्पेन नीति (2015) और जारवा नीति (2004) के अनुरूप सभी परामर्श किए गए हैं।
- जनजातीय क्षेत्रों के विशेषज्ञों, जैसे कि मानवविज्ञान सर्वेक्षण संस्थान, और आदिम जनजाति विकास समिति से परामर्श हुआ है।
- परियोजना क्षेत्र में कोई भी जनजातीय बस्ती विस्थापित नहीं की जाएगी।
- 84.10 वर्ग किमी जनजातीय रिजर्व भूमि में से केवल 73.07 वर्ग किमी को डिनोटिफाई कर परियोजना में उपयोग किया जाएगा और 76.98 वर्ग किमी नई भूमि को रिजर्व घोषित कर संतुलन सुनिश्चित किया जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- कुल 166.10 वर्ग किमी क्षेत्र में परियोजना तीन चरणों में विकसित की जाएगी (2025–47)।
- पहले चरण (2025–35) में 72.12 वर्ग किमी में विकास कार्य होगा।
- कुल 130.75 वर्ग किमी वन क्षेत्र में से सिर्फ 49.86 वर्ग किमी में वृक्ष कटाई की संभावना है।
- अनुमानित 7.11 लाख वृक्ष काटे जाएंगे, जबकि 65.99 वर्ग किमी क्षेत्र को ग्रीन ज़ोन के रूप में संरक्षित रखा जाएगा।
- हरियाणा में 97.30 वर्ग किमी भूमि चिन्हित की गई है जहाँ प्रतिपूरक वनीकरण किया जाएगा।
- परियोजना अंडमान निकोबार द्वीप समूह के कुल क्षेत्रफल का केवल 2% और कुल वन क्षेत्र का 1.82% ही प्रभावित करेगी।