ग्रामीण सड़कों के रखरखाव में अब जनता की भागीदारी: PMGSY में QR कोड से निगरानी की नई पहल

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता और रखरखाव पर अब आम जनता की सीधी निगरानी होगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देशित किया है कि वे सड़कों के रखरखाव सूचना बोर्डों पर QR कोड लगाएं, जिससे लोग आसानी से फीडबैक दे सकें। यह कदम eMARG प्रणाली को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
PMGSY: एक व्यापक योजना का विकास
PMGSY की शुरुआत 25 दिसंबर 2000 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हुई थी। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को ऑल वेदर सड़क संपर्क से जोड़ना था। इसके बाद 2013 में दूसरा चरण, 2016 में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए RCPLWEA योजना और 2019 में तीसरा चरण शुरू किया गया।
सितंबर 2024 में केंद्र सरकार ने चौथे चरण को मंजूरी दी, जिसके तहत 62,500 किमी सड़कों का निर्माण 70,125 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। इस चरण का उद्देश्य 25,000 ऐसे गांवों को जोड़ना है जो अभी भी सड़क संपर्क से वंचित हैं।
QR कोड आधारित नई निगरानी प्रणाली
नई प्रणाली के अंतर्गत, प्रत्येक सड़क पर एक QR कोड लगाया जाएगा, जिसे स्कैन करके कोई भी व्यक्ति उस सड़क की जानकारी प्राप्त कर सकता है और रखरखाव संबंधी शिकायत दर्ज कर सकता है। यह जानकारी सीधे eMARG पोर्टल से जुड़ी होगी।
- QR कोड को स्कैन करने पर उपयोगकर्ता सड़क की पूरी जानकारी देख सकता है।
- कोई भी नागरिक सड़क पर मौजूद समस्या की तस्वीर खींचकर सिस्टम में अपलोड कर सकता है।
- यह तस्वीरें Routine Inspection के साथ लिंक की जाएंगी और PE (Performance Evaluation) स्कोर निर्धारित करने में उपयोग होंगी।
- AI और Machine Learning की सहायता से इन तस्वीरों का विश्लेषण किया जाएगा।
रखरखाव व्यवस्था और eMARG का कामकाज
PMGSY के तहत सड़क निर्माण के बाद ठेकेदार को पांच वर्षों तक सड़क का नियमित रखरखाव करना होता है। eMARG एक वेब और मोबाइल आधारित प्रणाली है, जिसके माध्यम से:
- ठेकेदार रखरखाव का कार्य करता है और बिल जमा करता है।
- फील्ड इंजीनियर सड़क की नियमित जांच करते हैं और जियो टैग की गई तस्वीरें लेते हैं।
- इन आंकड़ों के आधार पर 12 मानकों पर रखरखाव की गुणवत्ता का मूल्यांकन होता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- PMGSY एक शुरुआत में पूरी तरह केंद्र प्रायोजित योजना थी, लेकिन 2015-16 से इसके फंडिंग पैटर्न को केंद्र:राज्य = 60:40 कर दिया गया।
- पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 है।
- अब तक योजना के तहत 8,36,850 किमी सड़क निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 7,81,209 किमी पूरी हो चुकी है।
- NRIDA (National Rural Infrastructure Development Agency) इस योजना का तकनीकी पर्यवेक्षण करती है।
नई प्रणाली में QR कोड के माध्यम से जनता की भागीदारी न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगी, बल्कि सड़क की गुणवत्ता और समयबद्ध रखरखाव को भी सुनिश्चित करेगी। यह एक अभिनव कदम है जो सरकार, ठेकेदार और आम जनता के बीच उत्तरदायित्व और संवाद को और मजबूत करेगा।