ग्रामीण ऊर्जा में क्रांति: एनडीडीबी की सीबीजी पहल और गोबर मूल्य श्रृंखला

भारत के ऊर्जा भविष्य को पुनर्परिभाषित करने में ग्रामीण क्षेत्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) ने इस दिशा में एक उल्लेखनीय पहल की है — गोबर को न केवल अपशिष्ट के रूप में देखने के बजाय उसे स्वच्छ ऊर्जा, जैविक खाद और किसानों की आय के स्रोत में बदलने का प्रयास। यह पहल न केवल पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देती है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नए अवसर भी पैदा करती है।
गोबर मूल्य श्रृंखला की शुरुआत और मॉडल
एनडीडीबी ने 2018 में “गोबर मूल्य श्रृंखला” (Manure Value Chain) की अवधारणा शुरू की, जिसमें गोबर के कुशल उपयोग के लिए विभिन्न मॉडल विकसित किए गए।
- जकरियापुर मॉडल: गांवों में समूह-आधारित घरेलू बायोगैस संयंत्र, अतिरिक्त स्लरी को केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्रों में भेजने की व्यवस्था।
- वाराणसी मॉडल: केंद्रीकृत गोबर संग्रह के जरिए बड़े पैमाने पर बायोगैस संयंत्र, जहां बायोगैस का उपयोग डेयरी प्लांट के बॉयलर में स्टीम उत्पादन के लिए और स्लरी को उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद में परिवर्तित किया जाता है।
- बनास मॉडल: गोबर से संपीड़ित बायोगैस (CBG) का उत्पादन, जिसका उपयोग वाहन ईंधन के रूप में किया जाता है।
सीबीजी उत्पादन में तेजी और निवेश
एनडीडीबी ने 2022 में “एनडीडीबी मृदा लिमिटेड” की स्थापना की, जिसमें 2024 में सुज़ुकी आर एंड डी सेंटर इंडिया ने निवेश कर इसे संयुक्त उद्यम बना दिया।
- दो बड़े बायोगैस संयंत्र पहले से चालू हैं, जो थर्मल एप्लीकेशन और सीबीजी के रूप में वाहन ईंधन उपलब्ध कराते हैं।
- वाराणसी संयंत्र के जरिए दो वर्षों में किसानों को गोबर खरीदकर 3 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।
- सुज़ुकी के साथ मिलकर चार नए सीबीजी संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं और पांच और की योजना पर काम चल रहा है।
- आने वाले 2-3 वर्षों में 500-700 करोड़ रुपये का निवेश और लगभग 1000 ग्रामीण नौकरियां सृजित होंगी, साथ ही किसानों को सालाना 5-7 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में लगभग 302 मिलियन गोवंश हैं, जिससे सीबीजी उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं।
- सीबीजी (Compressed Bio Gas) प्राकृतिक गैस जैसा ही ईंधन है, जिसे वाहनों और उद्योगों में उपयोग किया जा सकता है।
- पीआरओएम (Phosphate Rich Organic Manure) और एफओएम (Fermented Organic Manure) जैसी जैविक खादें मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती हैं।
- भारत का डेयरी क्षेत्र विश्व का सबसे बड़ा है, और एनडीडीबी इसकी सहकारी संरचना को ऊर्जा क्षेत्र में भी ला रहा है।
ग्रामीण ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में
एनडीडीबी की यह पहल गोबर को ऊर्जा, स्लरी को मिट्टी की सेहत, और किसानों की मेहनत को स्थायी आय में बदल रही है। सीबीजी नेटवर्क दूध शीतलन इकाइयों को ऊर्जा दे सकता है, गांवों के परिवहन को चला सकता है और यहां तक कि ग्रामीण माइक्रो-ग्रिड को भी संचालित कर सकता है।
ग्रामीण भारत में “ग्रीन एनर्जी क्रांति” किसानों को केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि जलवायु समाधान प्रदाता के रूप में स्थापित करेगी। एनडीडीबी का यह प्रयास न केवल ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की नींव भी रखेगा।