गोवा में अंतरराष्ट्रीय लवणता सम्मेलन WE-CARE 2025 का शुभारंभ

गोवा में अंतरराष्ट्रीय लवणता सम्मेलन WE-CARE 2025 का शुभारंभ

ICAR-CCARI, ओल्ड गोवा में आज “अंतरराष्ट्रीय लवणता सम्मेलन 3.0 – WE-CARE 2025” का उद्घाटन हुआ। इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक कृषि, पारिस्थितिकी और खाद्य सुरक्षा पर बढ़ती मृदा और जल लवणता के प्रभाव पर चर्चा करना है। उद्घाटन सत्र में ICAR, नई दिल्ली के उपमहानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) डॉ. ए.के. नायक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

मृदा और जल लवणता: वैश्विक कृषि के सामने चुनौती

डॉ. नायक ने बताया कि विश्वभर में एक अरब हेक्टेयर से अधिक भूमि लवणता से प्रभावित है, जिसमें भारत की 6.7 मिलियन हेक्टेयर भूमि शामिल है। यह समस्या विशेष रूप से शुष्क और तटीय क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। उन्होंने विज्ञान-आधारित नवाचारों और बहु-आयामी प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।

वैश्विक सहभागिता और नीति निर्धारण पर जोर

इस सम्मेलन में SAARC, AARDO, JIRCAS (जापान), ICBA (दुबई) सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और देशों से लगभग 150 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। प्रतिभागी देशों में जापान, श्रीलंका, मॉरीशस, ओमान, केन्या, घाना, जाम्बिया, गाम्बिया, इस्वातिनी और लेबनान शामिल हैं।
डॉ. नायक ने करनाल और गोवा स्थित ICAR संस्थानों द्वारा इस सम्मेलन का आयोजन कर वैश्विक विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के संवाद भविष्य की नीतियों के लिए ठोस वैज्ञानिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और लवणीय पारिस्थितिक तंत्रों को पुनर्स्थापित करने में सहायक बनते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में लगभग 6.7 मिलियन हेक्टेयर भूमि लवणता से प्रभावित है, जो खाद्य उत्पादन को सीमित करती है।
  • ICAR-CCARI (Central Coastal Agricultural Research Institute) गोवा में तटीय कृषि अनुसंधान का प्रमुख संस्थान है।
  • SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) और AARDO (Asian-African Rural Development Organization) कृषि विकास के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
  • JIRCAS (Japan International Research Center for Agricultural Sciences) जापान की प्रमुख वैश्विक कृषि अनुसंधान संस्था है।

WE-CARE 2025 सम्मेलन एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहाँ वैज्ञानिक, नीति निर्माता और कृषि विशेषज्ञ मिलकर वैश्विक लवणता समस्या के समाधान हेतु रणनीतियाँ विकसित कर सकते हैं। यह सम्मेलन भविष्य के लिए अधिक टिकाऊ, लवणता-सहिष्णु और जलवायु-संवेदनशील कृषि प्रणालियों की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

Originally written on November 1, 2025 and last modified on November 1, 2025.

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