गोरिचेन चोटी

गोरिचेन चोटी

गोरिचेन एक पर्वत शिखर है, जो हिमालय का एक हिस्सा है। असम हिमालय दक्षिणपूर्वी तिब्बत, भूटान और भारतीय राज्यों उत्तरी असम, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में स्थित पहाड़ों की एक श्रृंखला है। सम हिमालय हिमालय पर्वत श्रृंखला के एक हिस्से को दिया गया नाम है जो इसके पश्चिमी हिस्से में भूटान की पूर्वी सीमा और इसके पूर्वी हिस्से में त्संगपो नदी के ग्रेट बेंड के बीच स्थित है। इस पर्वत श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी नमचा बरवा है। भूटान और असम में हिमालय में 6000 मीटर की कई चोटियाँ हैं। इनमें से एक मुख्य गोरिचेन चट्टान और बर्फ की चोटी है। माउंट गोरिचेन को उत्तर-पूर्वी भारत में तीसरी सबसे ऊंची चोटी होने का गौरव प्राप्त है। इसे असम हिमालय की सबसे ऊंची चट्टान और बर्फ की चोटी होने का गौरव भी प्राप्त है। गोरिचेन चोटी का भूगोल
विभिन्न अभियानों ने इस पर्वत शिखर की विभिन्न ऊँचाइयों को मापा है। वर्ष 1994 में इस पर्वत शिखर पर भारतीय अभियान के मापन के अनुसार गोरी चेन की ऊंचाई को 6858 मीटर (22500 फीट) से संशोधित कर 6488 मीटर (21286 फीट) कर दिया गया था। अन्य ऊंचाईयों को भी मापा गया है। गोरी चेन की कई सहायक और थोड़ी निचली चोटियाँ हैं, जिन पर भी चढ़ाई की गई है।
गोरिचेन चोटी का इतिहास
गोरिचेन को एक तकनीकी पर्वत शिखर के रूप में परिभाषित किया गया है, जिस पर केवल अनुभवी पर्वतारोही ही सफलतापूर्वक इसके शिखर तक पहुंच सकते हैं। एक भारतीय सेना अभियान था जिसका आयोजन माउंट गोरी चेन पर किया गया था। दुर्भाग्य से इस अभियान में इस समूह के दो सर्वश्रेष्ठ पर्वतारोहियों की जान चली गई और तीसरा सदस्य शिविर 11 और शिखर शिविर के बीच चढ़ाई के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया। माउंट गोरिचेन
को अरुणाचल की मुख्य चोटियों में सबसे आसानी से पहुँचा जाने वाला स्थान बताया गया है। साल 1939 में गोरी चेन इलाके के पहाड़ों की चढ़ाई बिल टिलमैन नाम के एक अंग्रेज ने की थी। वर्ष 1962 में चीनी सेना एक रणनीतिक स्ट्रोक में बेली ट्रेल के नीचे मजबूती से उतरी जिसने पश्चिमी उत्तर-पूर्वी सीमांत एजेंसी (N.E.F.A) की अंतिम भारतीय सुरक्षा को नष्ट कर दिया। भारतीय सेना के एक अभियान द्वारा माउंट गोरिचेन पर दूसरी चढ़ाई भी की गई। इस अभियान के नेता मेजर ए सेन नाम थे। वर्ष 1993 में गोरी चेन पर्वत शिखर पर एक टीम द्वारा चढ़ाई की गई थी जिसका नेतृत्व डचमैन रोनाल्ड नार ने किया था। गोरिचेन को असम की चोटियों में सबसे अधिक बार देखा जाने वाला माना जाता है।

Originally written on January 27, 2022 and last modified on January 27, 2022.

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