गोगाबील झील बनी भारत की 94वीं रामसर साइट
भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त वेटलैंड्स की सूची में एक और महत्वपूर्ण नाम जोड़ते हुए बिहार की गोगाबील झील को देश की 94वीं रामसर साइट के रूप में शामिल किया है। यह कदम भारत की वैश्विक रामसर कन्वेंशन के तहत वेटलैंड संरक्षण के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कटिहार जिले में गंगा और महानंदा नदियों के बीच स्थित यह झील बिहार का पहला सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र भी है, जिसे स्थानीय समुदायों द्वारा संरक्षित और प्रबंधित किया जाता है।
गोगाबील झील: सामुदायिक सहभागिता से संरक्षित एक अनूठा वेटलैंड
गोगाबील झील का रामसर साइट में शामिल होना इसके पारिस्थितिकीय महत्व को रेखांकित करता है। यह एक बाढ़ क्षेत्रीय वेटलैंड है, जो मानसून के दौरान गंगा और महानंदा नदियों से जुड़कर जल पक्षियों, जलीय वनस्पति और जीव-जंतुओं के लिए अनुकूल आवास प्रदान करती है। यह झील जैव विविधता के लिए एक प्रमुख हॉटस्पॉट है और पर्यावरणीय संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बिहार की यह छठी रामसर साइट बन चुकी है, जिसमें हाल ही में घोषित गोकुल जलाशय और उदयपुर झील भी शामिल हैं, जो राज्य के बढ़ते वेटलैंड संरक्षण प्रयासों को उजागर करते हैं।
भारत का वैश्विक वेटलैंड संरक्षण में बढ़ता स्थान
भारत अब एशिया में वेटलैंड साइट्स की संख्या में अग्रणी है और विश्व स्तर पर यूनाइटेड किंगडम (176) और मेक्सिको (144) के बाद तीसरे स्थान पर है। पिछले 11 वर्षों में भारत ने 67 नए वेटलैंड्स को रामसर सूची में जोड़ा है, जो कुल 13.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हैं। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए सामुदायिक भागीदारी और पारिस्थितिक पुनर्स्थापन के माध्यम से स्थायी वेटलैंड प्रबंधन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- गोगाबील झील नवंबर 2025 में भारत की 94वीं रामसर साइट बनी।
- बिहार में अब छह रामसर साइट्स हैं, जो तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के बाद तीसरे स्थान पर है।
- वैश्विक स्तर पर भारत तीसरे स्थान पर है, जबकि यूके पहले और मेक्सिको दूसरे स्थान पर हैं।
- रामसर कन्वेंशन 1971 में ईरान के रामसर शहर में वेटलैंड्स की सुरक्षा हेतु शुरू हुआ था।
रामसर साइट्स का महत्व
रामसर कन्वेंशन के तहत नामित वेटलैंड्स जलवायु संतुलन, बाढ़ नियंत्रण, भूजल पुनर्भरण और जैव विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये क्षेत्र न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका, कच्चे माल और संसाधनों के स्रोत के रूप में भी अत्यंत उपयोगी हैं। रामसर साइट्स का विस्तार भारत की प्रकृति आधारित समाधान और जलवायु लचीलापन को बढ़ावा देने वाली नीतियों का प्रतीक है।