गूगल-एंड्रॉयड प्रतिस्पर्धा विवाद: सुप्रीम कोर्ट में बड़ी कानूनी जंग

8 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट इंक., प्रतियोगिता आयोग (CCI) और एलायंस डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (ADIF) की अपीलें सुनवाई के लिए स्वीकार कर लीं। ये अपीलें नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले से जुड़ी हैं, जिसमें गूगल को एंड्रॉयड इकोसिस्टम में प्रभुत्व का दुरुपयोग करने का दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई नवंबर में तय की है।
CCI के आरोप और निष्कर्ष
CCI ने 2020 में गूगल की जांच शुरू की थी, जब कई ऐप डेवलपर्स और उद्योग समूहों ने आरोप लगाया कि गूगल अपनी बाजार शक्ति का उपयोग कर प्रतिस्पर्धा को सीमित कर रहा है।2022 में CCI ने पाया कि गूगल ने कई प्रतिस्पर्धा-विरोधी कदम उठाए, जिनमें मुख्य थे:
- गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम (GPBS) का अनिवार्य उपयोग, जिससे डेवलपर्स को 15% से 30% तक का कमीशन देना पड़ता था।
- यूट्यूब जैसी अपनी सेवाओं को इस नियम से छूट देना, जिससे उन्हें लागत लाभ मिला।
- एंड्रॉयड लाइसेंसिंग मॉडल के तहत गूगल ऐप्स (सर्च, क्रोम, यूट्यूब आदि) का प्री-इंस्टॉल अनिवार्य करना, जिससे उपभोक्ता विकल्प सीमित हुए।
CCI ने गूगल पर ₹936.44 करोड़ का जुर्माना लगाया और बिलिंग सिस्टम को प्ले स्टोर एक्सेस से अलग करने, डेटा पारदर्शिता बढ़ाने और अपने ऐप्स को डेटा का अनुचित लाभ न देने जैसी सिफारिशें कीं।
गूगल का पक्ष
गूगल का कहना है कि उसके कदम उपभोक्ता अनुभव, सुरक्षा और एंड्रॉयड के टिकाऊ बिजनेस मॉडल के लिए जरूरी हैं।
- एंड्रॉयड ओपन-सोर्स है और डिवाइस निर्माता चाहें तो बिना गूगल ऐप्स के भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
- प्री-इंस्टॉल ऐप्स उपभोक्ता सुविधा के लिए हैं, न कि प्रतिस्पर्धा रोकने के लिए।
- GPBS सुरक्षित और भरोसेमंद भुगतान सुनिश्चित करता है, और कमीशन उद्योग मानकों के अनुरूप है।गूगल ने यह भी तर्क दिया कि भारतीय ऐप जैसे फोनपे, पेटीएम और हॉटस्टार एंड्रॉयड पर सफल हुए हैं, जिससे प्रतिस्पर्धी माहौल साबित होता है।
NCLAT का फैसला
मार्च 2025 में NCLAT ने CCI के कई निष्कर्षों को बरकरार रखा, लेकिन जुर्माना घटाकर ₹216.69 करोड़ कर दिया और कुछ निर्देश रद्द कर दिए।मई 2025 में पुनर्विचार याचिका पर दो अहम निर्देश बहाल हुए—
- गूगल को बिलिंग डेटा नीतियों में पारदर्शिता रखनी होगी।
- गूगल इस डेटा का उपयोग अपने ऐप्स को बढ़त देने के लिए नहीं करेगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में एंड्रॉयड स्मार्टफोन का बाजार हिस्सा 95% से अधिक है।
- CCI का गठन 2003 में हुआ और यह 2009 से पूर्ण रूप से कार्यरत है।
- गूगल पर CCI ने 2022 में पहली बार ₹936.44 करोड़ का जुर्माना लगाया था।
- GPBS के कमीशन रेट 15% से 30% तक होते हैं।
आगे का रास्ता और संभावित असर
नवंबर में होने वाली सुनवाई यह तय करेगी कि भारत में डिजिटल बाजारों में प्रभुत्व के दुरुपयोग को कैसे परिभाषित किया जाए।
- CCI के पक्ष में फैसला आने पर उपभोक्ताओं को सस्ते भुगतान विकल्प और ऐप चयन में अधिक स्वतंत्रता मिल सकती है।
- गूगल के पक्ष में फैसला वर्तमान व्यवस्था को बरकरार रखेगा, जिससे एंड्रॉयड का एकीकृत अनुभव बना रहेगा लेकिन स्टार्टअप्स के लिए प्रतिस्पर्धा कठिन रह सकती है।
यह मामला न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर गूगल के एंड्रॉयड बिजनेस मॉडल के लिए मिसाल साबित हो सकता है, खासकर तब जब दुनिया के कई देश बिग टेक कंपनियों पर नियामकीय दबाव बढ़ा रहे हैं।